दुर्ग। शासकीय डाॅ. वावा पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में महिला प्रकोष्ठ एवं यूथ रेडक्राॅस के संयुक्त तत्वाधान में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर ‘युवाओं में बढ़ती असहनशीलता’ विषय पर संवाद कार्यक्रम गुरू संग गोठ का आयोजन किया गया.
प्रभारी प्राध्यापक डाॅ. रेशमा लाकेश ने बताया कि युवाओं में बढ़ती असहनशीलता चिंताजनक है जिसके पीछे अति-महत्वकांक्षा, घटता आत्म-नियंत्रण, आदि का हाथ है.
गृहविज्ञान की शोध छात्रा तबस्सुम अली ने इंटरनेट और सोशल मीडिया के प्रभाव पर प्रकाश डाला। युक्ति देशमुख ने बढ़त सामाजिक दबाव एवं शिक्षा पद्धति पर चर्चा की। आईनी धृतलहरे ने युवाओं में असहनशीलता के लिये बेरोजगारी को मुख्य कारण बताया। चंद्रसुधा ने टी.वी. धारावाहिक, फिल्मों तथा ओटीटी के दुष्प्रभाव पर अपने विचार रखे।
महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. सुशील चन्द्र तिवारी ने कहा कि इसके रोकथाम के लिए जागरूकता और सक्रियता से जान बचाई जा सकती है। निराशा, अवसाद, तनाव, डर, अपमान तथा आत्मविश्वास में कमी इसके प्रमुख कारण हैं। किशोर अवस्था से ही जीवन जीने की कला के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिये।
डाॅ. ऋचा ठाकुर ने बताया कि प्रशिक्षित काउंसलर के सहयोग से बहुत सी मानसिक समस्याओं का हल निकल सकता है। उन्होंने आंकड़ों के माध्यम से बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि मनोबल बढ़ाने व विश्वास पैदा करने पर हम इस समस्या से निजात पा सकते हैं।
डाॅ. अल्का दुग्गल ने छात्राओं के प्रश्नों पर विस्तार से चर्चा की और जागरूकता कार्यक्रम के द्वारा ही युवाओं को सही दिशा दी जा सकती है।
कार्यक्रम में छात्राओं को जागरूकता की शपथ दिलायी गई। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. सुषमा यादव ने किया तथा आभार प्रदर्शन ज्योति भरणे ने किया।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में छात्रायें तथा प्राध्यापक उपस्थित थे।