भिलाई। बदलते मौसम के बीच वायरल संक्रमण एक आम समस्या रही है. इसमें चार-पांच दिन तक रोगी को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है जिसमें तीव्र ज्वर के साथ सिर दर्द, बदल दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं. पर इस बार वायरल फीवर के कम उम्र के मरीजों में एक्यूट पैन्क्रियाटाइटिस के मामले भी बढ़े हैं. ऐसे मरीजों में बालिकाओं की संख्या अधिक है.
उक्त जानकारी हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ मिथिलेश देवांगन ने दी. उन्होंने बताया कि कुछ वायर और बैक्टीरिया पित्ताशय में संक्रमण का कारण बन सकते हैं. इससे उसमें सूजन हो जाती है और पित्त के आवागमन का मार्ग बाधित हो सकता है. यह पैन्क्रियाज को भी अपनी चपेट में ले सकता है. इस बार वायरल के सीजन में ऐसे मामलों में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी हुई है जिसमें वायरल फीवर के साथ ही बच्चों, विशेषकर लड़कियों में पैन्क्रियाटाइटिस के मामले सामने आ रहे हैं.
उन्होंने बताया कि तेज बुखार, बदन दर्द और मतली के साथ ही अगर पेट के ऊपरी हिस्से में तेज दर्द बना रहे तो तत्काल डाक्टर से संपर्क करना चाहिए. यह पित्ताशय या पैन्क्रियाज से जुड़ा हो सकता है. सूजन के कारण पाचक एंजाइम पैन्क्रियाज के भीतर रिस सकता है जिसके चलते ऊसके ऊतक नष्ट हो सकते हैं.
बचाव की चर्चा करते हुए डॉ मिथिलेश बताते है कि पैंक्रियाज की कोशिकाओं को हर समय नम रखने की आवश्यकता होती है. दिन में 8-10 गिलास पानी पीने के अलावा मौसमी फलों का सेवन करते रहें. एसिडिक हैं तो बहुत अधिक चाय और कॉफी पीने से बचना चाहिए.
उन्होंने बताया कि पित्ताशय की पथऱी, वायरल संक्रमण से लेकर फास्ट फूड तक सभी पैन्क्रियाटाइटिस का कारण हो सकते हैं. अच्छी बात यह है कि एक्यूट पैन्क्रियाटाइटिस को औषधियों और पथ्य के द्वारा ठीक किया जा सकता है. पर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही तो पैन्क्रियाज को अपरिवर्तनीय क्षति हो सकती है. यह पाचन तंत्र का एक बेहद महत्वपूर्ण अंग है. यह प्रोटीन तथा कार्बोहाइड्रेट्स को पचाने वाले एंजाइम उत्पन्न करने के अलावा इंसुलिन और कुछ गैस्ट्रिक एसिड का निर्माण करता है. इंसुलिन रक्त में शर्करा की मात्रा को भी नियंत्रित करती है.