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सिविल सर्विस के लिए कोचिंग से ज्यादा जरूरी है लगन और निष्ठा – राजेश राणा

Sep 18, 2023
Coachings can help but cannot spell success- Rajesh Singh Rana

भिलाई। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के संचालक राजेश सिंह राणा, आईएएस ने कहा कि किसी भी प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता के लिए अभ्यर्थी की लगन, निष्ठा और पूर्ण समर्पण ही काम आती है. कोचिंग क्लासेस आपको गाइड कर सकती हैं पर आपकी सफलता की गारंटी नहीं कर सकती. यह आपको ही करना होगा. श्री राणा एमजे कालेज में आयोजित “लाइट हाउस” कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. श्री राणा स्कूली शिक्षा विभाग के विशेष सचिव भी हैं. उन्होंने महाविद्यालय परिसर में पौधा भी रोपा.
एमजे ग्रुप ऑफ एजुकेशन के विशेष आग्रह पर रविवार को महाविद्यालय पहुंचे एससीईआरटी संचालक शिक्षा संकाय के विद्यार्थियों से रूबरू थे. कार्यक्रम में विज्ञान एवं वाणिज्य तथा प्रबंधन संकाय के विद्यार्थी भी शामिल हुए. समूह के सचिव अभिषेक गुप्ता एवं निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर ने अतिथि के साथ मंच साझा किया.  श्री राणा ने बताया कि प्राथमिक शिक्षा अपने गांव में पूरी करने के बाद वे दिल्ली चले गये थे. यूपीएससी परीक्षा उन्होंने बिना किसी कोचिंग के ही की. तीन अटेम्प्ट में उन्होंने यह परीक्षा उत्तीर्ण कर ली. श्री राणा ने बताया कि पढ़ाना उनका पैशन रहा है. इसलिए पांच दिन अपनी शासकीय जिम्मेदारियों का पूर्ण निर्वहन करने के बाद वे एक दिन वंचित तबके के बच्चों की निःशुल्क शिक्षा को देते हैं. छत्तीसगढ़ में इस तरह के पांच छह केन्द्र हैं जहां प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है. यह सिलसिला पुराना है. वे तब भी ऐसा ही करते थे जब वे विद्यार्थी थे.


उन्होंने बताया कि बचपन में कलेक्टर गांव में आते थे. सभी उनकी बात सुनते थे, उनके निर्देशों का पालन करते थे. कलेक्टर वह शख्सियत थे जो गांव की स्थितियों में परिवर्तन लाने में समर्थ दिखाई देते थे. यहीं से कलेक्टर बनने की प्रेरणा मिली. तब आईएएस या यूपीएससी के बारे में वे कुछ नहीं जानते थे. बाद के वर्षों में यह सपना और बलवान होता गया. उन्होंने तैयारी जारी रखी और तब तक कोशिश करते रहे जब तक सपना पूरा नहीं हो गया. जीवन में किसी भी मुकाम तक पहुंचने के लिए ऐसी ही जिजीविषा की जरूरत होती है.


विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अपना लक्ष्य स्वयं अपनी रुचि के अनुसार निर्धारित करें. अंधानुकरण और देखादेखी में लिये गये निर्णय अकसर फलीभूत नहीं होते. पहले यह तय कर लें कि आप किसी क्षेत्र में जाना चाहते हैं और क्यों? उद्देश्य स्पष्ट होगा तो कभी भी थकान नहीं होगी. कठिनाइयां आपकी जिद को बढ़ाएगी और पहले से बेहतर करने के लिए स्वतः प्रेरित करती रहेगी.
बदलते शैक्षिक परिवेश की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कोरोना काल में जब ऑनलाइन पढ़ाई के रास्ते तलाशे जा रहे थे, तो छत्तीसगढ़ ने तेजी से काम किया. “पढ़ई तुंहर द्वार” के नाम से यूट्यूब चैनल शुरू किया गया जिसके लगभग 15 लाख सब्सक्राइबर हैं. इसका लाभ उस समय 9वीं से 12वीं के लाखों विद्यार्थियों ने उठाया. अब जबकि स्थिति सामान्य हो चुकी है तब इसके एक्टिव यूजर्स कम हुए हैं पर इसकी उपयोगिता बनी हुई है. उन्होंने बताया कि पिछले महीने दिल्ली में एक एमओयू पर हस्ताक्षर किये गये हैं. भारत सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग ने डीटीएच के जरिए 24×7 लाइव एजुकेशनल चैनल्स प्रारंभ किये हैं. पहले चरण में छत्तीसगढ़ को इसमें से 3 चैनल आवंटित किये गये हैं. इन चैनलों पर स्तरीय शैक्षिक सामग्री उपलब्ध रहेगी जिसका उपयोग दिन-रात कभी भी किया जा सकेगा.
विद्यार्थियों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि एससीईआरटी सभी वर्गों से सहयोग लेकर आगे बढ़ रहा है. इसके लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है. इस संबंध में सुझाव अपने अपने क्षेत्र के डाइट केन्द्रों में दिए जा सकते हैं. यदि कोई अध्यापक किसी विषय में विशेष दक्षता रखता है तो वह अपने विषय से संबंधित टॉपिक्स पर लेक्चर्स का सहयोग कर सकता है. इसके लिए उन्होंने अपनी सामग्री को एससीईआरटी को भेजना होगा. स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा सामग्री उपयुक्त पाए जाने पर उसे यूट्यूब या लाइव डीटीएच चैनल पर किया जा सकेगा.
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति के तहत प्राथमिक स्तर पर शिक्षा स्थानीय बोली में देने की तैयारी चल रही है. प्रथम चरण में 15 सितम्बर तक पठन-पाठन सामग्री आमंत्रित की गई थी. 21 सितम्बर को इस सिलसिले में पुनः एससीईआरटी में कार्यशाला का आयोजन किया गया है. इच्छुक शिक्षाविद इसमें शामिल हो सकते हैं.
आरभ में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने अतिथि का परिचय देने के साथ ही महाविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. उप प्राचार्य एवं शिक्षा संकाय की अध्यक्ष डॉ श्वेता भाटिया ने धन्यवाद ज्ञापन किया. कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक ममता एस राहुल एवं दीपक रंजन दास ने किया.

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