दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय की आंत्रप्रिन्योरशिप सेल एवं इन्क्यूबेशन सेंटर के एडवायजरी बोर्ड की प्रथम बैठक 11 अक्टूबर को आयोजित की गयी। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य महाविद्यालय में उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान करने के साथ ही साथ विद्यार्थियों में उद्यमिता हेतु रूचि जागृत करने के उपायों पर विचार-विमर्ष करना था, जिससे विद्यार्थी भविष्य में केवल सरकारी नौकरियों पर ही आश्रित न रहे।
इस एडवायजरी बोर्ड में प्रदेश के सफल उद्यमियों जैसे- हरीश सक्सेना, सीजीएम, डिस्ट्रिक ट्रेड एण्ड इन्डस्ट्री सेंटर, अमित वास्तव सीईओ मेटेक्स ग्रुप आॅफ कंपनीज, एस.के. मोहंती, एमएसएमई टेक्नालाॅजी सेंटर, शिरीश टांक मैनेजिंग डायरेक्टर, एसआरटी ग्रुप आॅफ एग्रो इण्डस्ट्रीज फुण्डा, राकेश अस्थाना, रिटायर्ड जीएम, भिलाई इस्पात संयत्र एवं देवाशीष गुप्ता पूर्व सीटीओ, आरसेलर मित्तल बोसनिया, हरजेगोविनिया आदि सम्मिलित थे।
एकेडेमिया-इण्डस्ट्री इन्टरफेस विषय पर आधारित इस बैठक का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को अपनी रूचि के अनुसार नये-नये रोजगार में संलग्न होकर अपनी आजीविका चलाने के साथ ही दूसरों के लिए भी रोजगार के अवसर निर्मित करने के लिए प्रेरित करना था।
बैठक में सर्वप्रथम उद्यमिता सेल की संयोजक डाॅ. सोमाली गुप्ता ने महाविद्यालय में उपलब्ध संसाधनों का परिचय सभी से कराते हुए बताया कि नयी शिक्षा नीति के अनुसार कौशल विकास युक्त पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को आजीविका अर्जित करने में अत्यंत सहायक होंगे। इसके लिए हमारे महाविद्यालय में प्लेसमेंट सेल एवं कैरियर मार्गदर्शन की सुविधा पहले से ही उपलब्ध है।
महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. आर.एन. सिंह ने सभी उद्यमियों एवं उपस्थित सदस्यों का स्वागत करते हुए हर्ष व्यक्त किया एवं कहा कि इन सफल उद्यमियों के बहुमूल्य सुझावों से निश्चित ही महाविद्यालय उद्यमिता के क्षेत्र में नये आयामों तक पहुंचेगा। शिरीश टांक ने अपने सुझाव देते हुए कहा कि महाविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए कृषि उद्यमिता के क्षेत्र में अपार संभावनायें हैं। विद्यार्थी नवीन तकनीकी के अनुसार कम लागत एवं कम क्षेत्र में जैविक खाद तैयार करने की दिशा में उत्कृष्ट कार्य कर सकते है साथ ही उन्होंने महाविद्यालय के विद्यार्थियों को शोध करने एवं सहयोगात्मक प्रोजेक्ट तैयार करने का प्रस्ताव दिया। मोहंती ने इस कार्यक्रम को महाविद्यालय का एक सार्थक पहल बताते हुये कहा कि छात्रों में उद्यमिता के प्रति रूझान उत्पन्न करने हेतु पाठ्यक्रम में आवष्यक बदलाव किये जाने चाहिए।
अमित श्रीवास्तव ने सुझाव दिया कि छात्रों को तथ्यात्मक विष्लेषण विषय में विशेषज्ञता तथा प्रैक्टिकल नाॅलेज बढ़ाने हेतु प्रयास किये जाने चाहिए। हरीश सक्सेना ने धीरू भाई अंबानी का उदाहरण देते हुए कहा कि आज हर उद्योग में एक सकारात्मक सोच रखने वाले एवं मेहनती छात्रों की आवश्यकता है, जिसके लिए महाविद्यालय को अपने पारंपरिक शिक्षा पद्धति से हटकर कौशल विकास एवं प्रैक्टिकल नाॅलेज बढ़ाने वाली शिक्षा पर देना ध्यान देना होगा।
खादी ग्रामोद्योग के सहायक संचालक नितिल बैस ने बताया कि बैंक विद्यार्थियों के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है जो उन्हें उद्योग लगाने में धनराशि उपलब्ध कराते हंै। यदि महाविद्यालय का कोई विद्यार्थी अपना उद्योग लगाना चाहता है, तो वे उसे बैंक के माध्यम से वितीय सहायता उपलब्ध कराने में मदद करेंगे। अंत में देवाशीष गुप्ता ने सुझाव दिया कि उद्यमिता के क्षेत्र में छात्रों को लाने के लिए हमें वैश्विक प्रतियोगिता के अनुसार उन्हें तैयार करना होगा। उन्होंने छात्रों में वैश्विक सोच एवं कौशल विकसित करने पर जोर दिया। इसके पश्चात् राकेश अस्थाना ने सुझाव दिया कि बीएससी की कक्षाओं में प्रारंभ से ही इंडस्ट्रियल प्रोजेक्ट कराने चाहिए जिससे विद्यार्थी में अंतिम वर्ष तक सम्पूर्ण कौशल का निर्माण हो सके।
इस बैठक में एडवायजरी बोर्ड के सदस्यों के अतिरिक्त महाविद्यालय के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, डाॅ. अंशुमाला चन्दनगर, डाॅ. सतीष कुमार सेन, डाॅ. श्वेता पाण्डेय, डाॅ. अलका मिश्रा, डाॅ. प्रदीप जांगड़े एवं डाॅ. लतिका ताम्रकार उपस्थित रहेें। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. संजू सिन्हा ने किया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. जगत कौर सलूजा ने किया।