समोदा. कुष्ठ वीरांगना के नाम से मशहूर हुई गणेशिया देशमुख गुरुवार की शाम एमजे कालेज के रासेयो शिविरार्थियों के बीच पहुंचीं. बौद्धिक चर्चा सत्र में भाग लेते हुए उन्होंने सेवा कार्यों की राह में आने वाली अड़चनों और उनसे निपटने के अपने अनुभव साझा किये. उन्होंने कुष्ठ उन्मूलन में महिला मंडल की भूमिका, जिले से लेकर दिल्ली तक मिले सम्मान और उसके बाद की परिस्थितियों की चर्चा की.
श्रीमती देशमुख ने बताया कि 14 साल की उम्र में वे बहू बनकर ग्राम बोरी से समोदा आई थीं. यह एक प्रतिष्ठित दाऊ परिवार था. वे हमेशा से समाज के लिए कुछ करना चाहती थीं. इसलिए जैसे ही कुष्ठ मुक्त जनों को ढूंढने का काम मिला तो उन्होंने पूरे जोश के साथ उसे स्वीकार किया. महिला मंडल की दो-दो महिलाओं की टोली बनाकर उन्होंने घर-घर दस्तक देना शुरू किया. ग्रामीणों का सहयोग मिला और सौ से अधिक संभावित रोगियों की पहचान की गई. जांच के बाद इनमें से 90 फीसदी में कुष्ठ की पुष्टि हुई. फिर दो साल तक इन सभी की दवा और चिकित्सा की जिम्मेदारी उन्होंने उठाई. जब पल्स पोलियो अभियान शुरू हुआ तो उन्होंने पूरे जिले में काम किया. इस दौरान तत्कालीन जिलाधीश विवेक ढांड एवं साक्षरता मिशन के निदेशक प्रो. डीएन शर्मा का उन्हें सान्निध्य मिला.
उन्होंने बताया कि वे निर्विरोध सरपंच भी चुनी गईं और जिला परिषद में भी रहीं. पर कभी किसी राजनीतिक दल के ज्यादा करीब नहीं गई. उन्होंने बताया कि किसी बड़े राजनेता से जुड़ने के नफा-नुकसान दोनों होते हैं. उनकी अच्छाइयां आपको लाभ पहुंचाती हैं तो उनकी व्यक्तिगत बुराइयों का साया भी आप पर पड़ता है. उन्होंने केवल दिल की सुनी और जो साथ चला उसे लेकर चलीं, जिसने विरोध किया उसपर कभी ध्यान नहीं दिया. उन्होंने कहा कि रासेयो के स्वयंसेवकों को वे पिछले कुछ दिनों से देख रही हैं. वे जी-जान लगाकर गांव को साफ सुथरा करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने स्वयंसेवकों के जज्बे को साधुवाद दिया.
इससे पहले एमजे कालेज ऑफ फार्मेसी के प्राचार्य डॉ दुर्गा प्रसाद पंडा ने विद्यार्थियों के साथ अपने छात्र जीवन की चर्चा की. उन्होंने बताया कि वे भी राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक रहे हैं. उन्होंने रासेयो शिविर के अपने अनुभव साझा करते हुए विद्यार्थियों को मन लगाकर काम करने का मशविरा दिया.
इस अवसर पर रासेयो कार्यक्रम अधिकारी शकुन्तला जलकारे, वीरेन्द्र वाल्डेकर, दीपक रंजन दास सहित बड़ी संख्या में रासेयो स्वयंसेवक एवं ग्रामीणजन उपस्थित थे.