भिलाई। समय पर इलाज मिल जाने के कारण एक 8 साल की बच्ची की किडनी को बचा लिया गया. बच्ची एक्यूट ग्लोमेरूलोनेफ्राइटिस की शिकार थी. हीमोडायलिसिस के तीन चक्रों के बाद बच्ची की हालत फिलहाल स्थिर है और उसका क्रिएटिनिन स्तर भी स्वयमेव सामान्य की ओर बढ़ रहा है. इस स्थिति में लापरवाही या गलत इलाज से किडनी नष्ट हो सकती है.
आरोग्यम के यूरोलॉजिस्ट डॉ नवीन राम दारूका एवं नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ आरके साहू ने बताया कि बच्ची पिछले कुछ समय से परेशान थी. राजनांदगांव निवासी बच्ची का वहीं स्थानीय स्तर पर इलाज चल रहा था. जब उस आरोग्यम लाया गया तो उसे तीव्र ज्वर था. पूरे शरीर पर सूजन थी तथा पेशाब में खून जा रहा था. पेशाब भी बहुत कम आ रहा था. मरीज का वजन तेजी से गिर रहा था. पिछले पंद्रह दिनों से उसकी भूख-प्यास भी खत्म हो गई थी.
उन्होंने बताया कि सीटी स्कैन करने पर पता चला कि किडनी के फिल्टर (ग्लोमेरूल) में सूजन थी जिसके कारण रक्त का शोधन प्रभावित हो रहा था और रक्त पेशाब के साथ बह रहा था. मरीज का क्रीएटिनिन स्तर 9.24 तक बढ़ा हुआ था जबकि यूरिया की मात्रा भी खतरनाक स्तर तक पहुंच चुकी थी. तत्काल मरीज का हीमोडायलिसिस प्रारंभ किया गया. तीन चक्रों के बाद अब उसकी हालत ठीक है. क्रीएटिनिन का स्तर घटकर सामान्य के करीब पहुंच चुका है. यूरिया का स्तर भी अब नियंत्रण में है. मरीज को लाने में यदि और विलंब होता तो उसकी किडनी को जोखिम हो सकता था.