भिलाई। पिनाइल डिसफंक्शन अर्थात शिश्न में पर्याप्त तनाव का न होना या तनाव का टिक नहीं पाना एक ऐसी समस्या है जिसके कारण लोगों का घर टूट जाता है. इसके चलते पुरुष को न केवल शर्मिंदगी और मानसिक तनाव के दौर से गुजरना पड़ता है बल्कि बात डिवोर्स तक भी पहुंच जाती है. इस समस्या का स्थायी समाधान किया जा सकता है जिसमें अत्याधुनिक दवाइयों से लेकर सर्जिकल इलाज तक शामिल है. आरोग्यम में एक 27 वर्षीय युवक की समस्या का समाधान (पेनाइल इंप्लांट)सर्जरी से किया गया जब मरीज को दवा बेअसर हो गई।
आरोग्यम के यूरोलॉजिस्ट डॉ नवीन राम दारूका ने बताया कि पिनाइल डिसफंक्शन के मामले जटिल हो सकते हैं. अधिकांश मामले मानसिक भी होते हैं. ऐसे मरीजों का शिश्न उत्तेजित तो होता है पर संबंध बनाने से पहले ही शिथिल हो जाता है. ऐसे मरीजों की काउंसलिंग तथा दवाई से इस समस्या को दूर किया जा सकता है. कुछ अन्य मामलों में हार्मोन्स इसकी वजह हो सकते हैं.
डॉ दारूका ने बताया कि इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जिसके लिए बढ़ा हुआ मधुमेह, लंबे समय से शराब का सेवन तथा रीड की हड्डी में या लिंग में चोट लगना तथा आत्याधिक हस्तमैथुन जिम्मेदार होती हैं. ऐसी विकृतियां हो सकती हैं, चोट लगने के कारण आ सकती हैं या फिर जब शिश्न को रक्त की आपूर्ति करने वाले नसें ठीक से काम नहीं कर पातीं तो उनमें तनाव नहीं आ पाता. ऐसे मामलों में इंजेक्शन या वैक्यूम पंप से इलाज की कोशिश की जाती है. इसके बेअसर होने पर सर्जरी की सहायता ली जाती है. यह एक मिनिमली इन्वेसिव सर्जिकल प्रोसीजर है जिसमें शिश्न के भीतर एक इम्पलांट को लगा दिया जाता है. अमेरिकन इम्प्लांट जहां महंगे होते हैं वहीं स्वदेशी इम्प्लांट किफायती होते हैं. इससे समस्या का स्थायी समाधान हो जाता है.
डॉ दारूका ने बताया कि शिश्न शरीर का एक नाजुक और संवेदनशील अंग है. इसकी सर्जरी किसी योग्य और अनुभवी यूरो सर्जन से ही करवाना चाहिए अन्यथा शिश्न की संवेदना प्रभावित हो सकती है. सर्जरी के कुछ ही दिन बाद मरीज अपने स्वाभाविक जीवन में लौट सकता है और संभोग करने के लिए सक्षम हो जाता है.