भिलाई। 16 साल की महिमा को जब अस्पताल लाया गया तो उसकी हालत बहुत खराब थी. उसकी धड़कनें अनियमित थीं और हीमोग्लोबिन का स्तर भी खतरनाक स्तर को छू रहा था. वह नीम बेहोशी की हालत में थी. परिजनों ने बताया कि उसे काफी समय से कमजोरी थी और बीच-बीच में वह लड़खड़ा जाती थी. कभी-कभी वह अकबका जाती थी. लक्षणों के आधार पर जांच करने पर विटामिन बी-12 की कमी होना पाया गया.
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ मिथिलेश देवांगन ने बताया कि विटामिन बी-12 की गहरी कमी नसों को नुकसान पहुंचा सकती है. इसके चलते हाथों और पैरों में झुनझुनी होती है तथा कभी-कभी वो सुन्न पड़ जाते हैं. जैसे-जैसे रोग आगे बढ़ता है मांसपेशियों में कमज़ोरी, जागरूकता में कमी, चलने में संतुलन बिगड़ना, भ्रम और मनोभ्रंश जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं. रक्त जांच करने पर बच्ची में बी-12 की बेहद कमी पाई गई. इसी आधार पर उसका इलाज प्रारंभ किया गया और चार दिन बाद जब उसे अस्पताल से छुट्टी दी गई तो वह पूरी तरह स्वस्थ और बेहद खुश थी.
डॉ देवांगन ने बताया कि शुद्ध शाकाहारी जिन्हें आजकल वेजी कहा जाता है, उनमें बी-12 की कमी हो सकती है. वेजी लोग दूध या दूध से बने उत्पादों का भी सेवन नहीं करते. बहुत ज्यादा सलाद खाने वालों के साथ भी यह समस्या हो सकती है. घातक स्तर की रक्ताल्पता भी इसका कारण हो सकती है. कुछ फलों और साग-भाजियों में विटामिन बी-12 प्रचुर मात्रा में मिलता है. शुद्ध शाकाहारियों को इनका सेवन करना चाहिए.