भिलाई। कुछ साल पहले तक माना जाता था कि माइनिंग एक टफ जॉब है जिसमें लड़कियों को नहीं आना चाहिए। इस मिथक को दरकिनार करते हुए अब छात्राओं के हक में बड़ा फैसला ले लिया गया है। माइनिंग इंजीनियरिंग में अब छात्राएं भी प्रवेश ले सकेंगी। प्रदेश के 2 सरकारी व 4 निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में माइनिंग की पढ़ाई अब छात्राएं भी कर सकेंगी। संतोष रूंगटा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में भी यह विषय उपलब्ध है। पॉलीटेक्नीक कॉलेजों में भी इस विषय में उन्हें प्रवेश मिलेगा। छत्तीसगढ़ माइनिंग की दृष्टि से अलग पहचान रखता है। खदानों के भीतर पहुंचकर इंजीनियरिंग करने से पहले तक लड़कियों को रोककर रखा गया था। उनको माइनिंग में नौकरी तो मिलती थी, लेकिन टेबल जॉब ही दिए जाते थे। अब लड़कियां खदानों से निकलने वाले प्राकृतिक संपदाओं में भी अपनी रूचि दिखाएंगी।
अध्यादेश में सिर्फ लडक़ों के प्रवेश का था नियम
पहले तक कोई भी छात्रा माइनिंग के लिए एप्लाई नहीं सकती थी। माइनिंग इंजीनियरिंग के लिए बनाए गए अध्यादेश में ही इनको जगह नहीं दी गई थी, लेकिन बाद में तकनीकी शिक्षा निदेशालय ने इसमें संशोधन कराया है। लड़कियों के लिए यह क्षेत्र सुरक्षित नहीं माना गया था। पिछले कुछ साल में देश व प्रदेश में कई खानें नई शुरू हुई हैं, जिनमें नौकरियों के लिए सिर्फ लडक़ों का एकाधिकार था, लेकिन इस साल से अब लड़कियां भी इसमें हाथ आजमाएंगी।
ये हैं माइनिंग के टॉप रिक्रूटर्स – अडानी माइनिंग, एरसेलर मित्तल, भारतीय उपक्रम कंपनिया,
कोल इंडिया लिमिटेड, दामोदर वैली कॉर्पोरेशन, एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज, हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड, एमएमटीसी लिमिटेड, यूरेनियम कॉपोर्रेशन ऑफ इंडिया, डीआडीओ
डीटीई के ज्वाइंट डायरेक्टर एके गर्ग ने कहा कि इंजीनियरिंग और पॉलीटेक्निक में माइनिंग के लिए छात्राएं भी पात्र होंगी। नियम में संसोधन हुए हैं। राज्य शासन ने इसकी मंजूरी दी है।
संतोष रूंगटा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स के डायरेक्टर सोनल रूंगटा ने कहा कि माइनिंग में शानदार कॅरियर की संभावना है। प्रदेश प्राकृतिक संपदाओं से धनी है। ऐसे में माइनिंग इंजीनियरिंग में बड़े मौके मिलना तय है। युवाओं के लिए यह अच्छा विकल्प है।