भिलाई। 31 वर्षीय इस युवक के दाहिने फेफड़े का ऊपरी लोब निकालना पड़ा. फेफड़े का यह लोब लंबे समय से संक्रमित रहने के कारण नष्ट हो चुका था. हाईटेक के कुशल चिकित्सकों की टीम ने बिना चीरा लगाए इस सर्जरी को अंजाम दिया. इसके लिए वीडियो असिस्टेड थोराकोस्कोपिक सर्जरी (VATS) तकनीक का इस्तेमाल किया गया. सर्जरी सफल रही और युवक अब तेजी से स्वास्थ्य लाभ कर रहा है.
हाईटेक के लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ नवील कुमार शर्मा ने बताया कि यह व्यक्ति बचपन से ही सांस और फेफड़ों की तकलीफ से जूझ रहा था. इसकी कई बार टीबी के लिए भी जांच की गई पर कभी कोई बड़ी बीमारी सामने नहीं आई. बार-बार संक्रमण होता रहा और उसका सामान्य इलाज चलता रहा. रोगी अब 31 वर्ष है और पिछले कुछ दिनों से उसकी तकलीफ बहुत ज्यादा बढ़ी हुई थी. तब जाकर उसे हाईटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल लाया गया.
जांच करने पर पता चला कि युवक के दाहिने फेफड़े का ऊपरी लोब पूरी तरह से नष्ट हो चुका है. दाहिनी ओर के फेफड़े में तीन लोब होते हैं जबकि बाएं में केवल दो. ऐसा इसलिए की बायीं ओर हृदय का एक हिस्सा भी झुका हुआ होता है. ये सभी लोब स्वतंत्र रूप से एक जैसा ही काम करते हैं. लगातार संक्रमण रहने के कारण फेफड़े का एक लोब नष्ट हो चुका था जिसे निकाला जाना जरूरी था.
आम तौर पर यह एक ओपन सर्जरी होती है पर VATS पद्धति से ही इसे अंजाम देने का फैसला लिया. इस जटिल सर्जरी को डॉ नविल कुमार शर्मा ने कार्डियो वैस्कुलर थोरासिक सर्जन (CVTS) डॉ रंजन सेनगुप्ता के सुपरविजन में अंजाम दिया गया जो सफल रहा. इस पूरी प्रक्रिया में लगभग दो घंटे का वक्त लगा. निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ नरेश देशमुख की भी इसमें बड़ी भूमिका रही. इतनी बड़ी सर्जरी को मिनिमली इनवेसिव तकनीक से करने का अस्पताल में यह पहला मामला था.