दुर्ग (संडे कैम्पस)। विद्यार्थियों को अपनी रूचि के अनुसार ही लक्ष्य निर्धारित करना चाहिये तभी सफलता प्राप्त होगी। ये उद्गार समाजसेवी एवं पद्मश्री श्रीमती शमशाद बेगम ने शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में व्यक्त किये। श्रीमती शमशाद बेगम तामस्कर महाविद्यालय में आयोजित पांच दिवसीय राष्ट्रीय स्तर के युवा उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित कर रहीं थी। अपने जीवन के संघर्षमय क्षणों की याद करते हुए शमशाद बेगम ने विद्यार्थियों को हिम्मत न हारने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि यदि आगे बढऩा है तो हमें कठिन परिश्रम करना ही होगा। अपने स्वरचित गीत ‘आगे-आगे बढऩा है तो हिम्मत हारे मत बैठोÓ को प्रस्तुत करते हुए शमशाद बेगम ने भारतीय पारिवारिक माहौल एवं विभिन्न धर्मो संप्रदायों में महिलाओं की स्थिति पर भी विचार रखें। Read More
अध्ययन के साथ उद्यमिता प्रशिक्षण को प्रासंगिक बताते हुए शमशाद बेगम ने कहा कि वर्तमान समय में महिलाओं को और अधिक सुविधाएं प्रदान कर आगे लाने की आवश्यकता है। सामाजिक कुरीतियों – बाल विवाह, शराब खोरी, टोनही प्रथा, भू्रण हत्या आदि का भी उन्होंने अपने व्याख्यान में उल्लेख किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम की प्रभारी डॉ. मीना मान ने जानकारी दी कि राजीव गांधी नेशनल इंस्टियूट फॉर यूथ डेव्हलपमेंट भारत शासन के सहयोग से आयोजित इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में 40 विद्यार्थी उद्यमिता विकास के संबंध में गहन प्रशिक्षण प्राप्त करेेंगेे। डॉ. मीना मान ने उद्यमिता प्रशिक्षण के मुख्य बिंदुओं- उद्यमिता की आवश्यकता, उद्यमी की विशेषता, टीमवर्क तथा नेतृत्व क्षमता आदि की विस्तार से चर्चा की।
अपने स्वागत भाषण में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुशील चन्द्र तिवारी ने उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि अध्ययन और स्वरोजगार वर्तमान समय की नितांत आवश्यकता है। एक पढ़ा लिखा विद्यार्थी निश्चित रूप से सफल उद्यमी होता है। डॉ. तिवारी ने बताया कि महाविद्यालय प्रशासन द्वारा विद्यार्थियों के कॅरियर एवं सर्वांगीण विकास हेतु अनेक कार्यक्रम आयोाजित किये जा रहे हैं। अगामी 13 फरवरी को करियर काउसिंलिग पर आधारित कार्यशाला आयोजित की जा रही है।
‘जीवन में रचनात्मक परिवर्तन हेतु उद्यमिता की आवश्यकताÓ विषय पर आमंत्रित व्याख्यान देते हुए समाजशास्त्री डॉ. सपना शर्मा ने कहा कि विद्यार्थियों को उपलब्ध संसाधनों के आधार पर ही अपना लक्ष्य तय करना चाहिये। उन्होंने कहा, एक सफल उद्यमी में नेतृत्वकर्ता, मार्गदर्शक, प्रवर्तक व अन्वेषक के गुण होने चाहिये। डॉ. सपना शर्मा ने विद्यार्थियों से आव्हान किया कि दूर दृष्टि से ही व्यवसाय में सफलता मिलती है। लाभ हानि, कच्चे माल की उपलब्धता एवं उत्पाद के विक्रय पर भी विचार करना चाहिये।
आरंभ में एकता वशिष्ठ ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। इस अवसर पर प्रशिक्षार्थियों के अलावा डॉ. ओपी गुप्ता, डॉ. लक्ष्मी धु्रव, डॉ. प्रशान्त श्रीवास्तव, डॉ. एस.आर.ठाकुर उपस्थित थे।