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नैक से संबंधित शासकीय कालेजों के संभाग स्तरीय सेमिनार के लिए वेबीनार का आयोजन

Jun 20, 2020

Webinar on NAAC Evaluationदुर्ग। छत्तीसगढ़ शासन के उच्च शिक्षा विभाग के तत्वाधान में राज्य गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के द्वारा नैक से संबंधित संभाग स्तरीय सेमीनार का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में विगत दिनों दुर्ग संभाग के सभी शासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों, नैक समन्वयक, आईक्यूएसी समन्वयकों के लिए वेबिनार आयोजित किया गया। इस वेबिनार में राज्य इकाई के समन्वयक एवं उच्च शिक्षा विभाग की आयुक्त एवं अपरसंचालक भी शामिल हुए। वेबिनार में उच्च शिक्षा विभाग की आयुक्त श्रीमती शारदा वर्मा ने कहा कि नैक शैक्षणिक संस्थाओं की गुणवत्ता एवं विकास के मूल्यांकन का अवसर प्रदान करता है। प्रत्येक शैक्षणिक संस्थाओं की पहचान वहाँ के शिक्षक, कर्मचारी, वहाँ के अध्यापक, विद्यार्थी से होती है। इस वैश्विक महामारी के समय में भी हमारे शिक्षकों ने आॅनलाईन विडियो लेक्चर एवं कक्षाओं के माध्यम से अध्यापन कार्य किया है। भौतिक उपस्थिति नहीं होने के बावजूद अध्ययन-अध्यापन कार्य सुचारू रूप से किया गया है। उन्होनें कहा कि विद्यार्थियों का फीडबैक लेकर उनकी समस्याओं एवं सुझावों पर कार्य किया जाना आवश्यक है।
नैक मूल्यांकन के लिए सभी को संकल्प लेना होना। संकल्प शक्ति से बड़ा कुछ नहीं है। हमारे वे महाविद्यालय जिन्हें नैक से ग्रेडिंग प्राप्त हो चुकी है वे अन्य महाविद्यालयों के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाए।
उच्च शिक्षा संचालनालय की अपरसंचालक श्रीमती चंदन संजय त्रिपाठी ने नैक मूल्यांकन के लिए प्रदेश के सभी महाविद्यालयों को तैयारी करने के लिए कहा तथा बताया कि यदि हम ठान ले तो कोई कार्य कठिन नहीं है। महाविद्यालय की गुणवत्ता की परख इससे होती है वहीं हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उन्होनें कहा कि महाविद्यालय का भी ऐकेडेमिक कैलेण्डर होना चाहिए। जिसका पालन सभी सुनिश्चित करें।
दुर्ग संभाग के क्षेत्रीय अपर संचालक डॉ सुशील चन्द्र तिवारी ने वेबिनार की शुरूआत में नैक मूल्यांकन की प्रारंभिक प्रक्रियाओं की चर्चा करते हुए इसके सात बिन्दुओं के संबंध में जानकारी दी।
उन्होनें बताया कि इसमें शामिल ‘बेस्ट प्रैक्टिस’ के अंतर्गत हमारी गतिविधियाँ विद्यार्थियों एवं समाज को केन्द्र रखकर की जानी चाहिए। उन्होनें इसके बेहतर प्रस्तुति को मूल्यांकन का अहम हिस्सा बताते हुए नैक मूल्यांकन में ‘डाटा’ संग्रह को आवश्यक बताया।
दुर्ग जिले के अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ आर.एन.सिंह ने संस्था के विकास एवं नैक मूल्यांकन में कार्यालय प्रबंध एवं नेतृत्व के महत्व को सविस्तार बताया। उन्होनें कहा कि हम ऐसे बहुत से कार्य कर सकते है जिसमें आर्थिक कठिनाईयाँ नहीं आती है। इसके लिए उचित प्रस्ताव एवं प्रबंध आवश्यक है। उन्होनें नैक मूल्यांकन में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने के लिए विभिन्न बिन्दुओं पर कार्य करने के टिप्स भी दिए।
राज्य गुणवत्ता एवं आश्वासन प्रकोष्ठ के समन्वयक डॉ जी.ए. घनश्याम ने इस अवसर पर नैक मूल्यांकन के लिए निर्धारित प्रक्रियाओं एवं उसकी तैयारियों के संबंध में बताते हुए कहा कि कोविड-19 के वैश्विक संकट के दौरान आॅनलाईन प्लेटफार्म का बेहतर उपयोग हम कर सकते है।
उन्होनें शोधकार्य, स्टुडेन्ट डाटा तथा अध्ययन, अध्यापन तकनीक पर भी प्रकाश डाला। उन्होनें स्वयं एवं स्पर्श पर चर्चा करते हुए रिसर्च के लिए ई-शोध क्षेत्र एवं शोधगंगा को महत्वपूर्ण बताया। डॉ घनश्याम ने महाविद्यालय की गुणवत्ता बढ़ाने एकेडेमिक लिंकेज, जॉब फेयर और अंतर विभागीय गतिविधियों के कार्यक्रम सुनिश्चत करने को कहा।
इस कार्यशाला में दुर्ग संभाग के 56 महाविद्यालयों के प्राचार्य, प्राध्यापक शामिल हुए।
क्षेत्रीय अपर संचालक डॉ सुशील चन्द्र तिवारी ने बताया कि इस सत्र में दुर्ग संभाग के 10 कॉलेजों में नैक मूल्यांकन की तैयारी के निर्देश दिए गए है। जिनमें शासकीय महाविद्यालय जामगांव आर., बोरी, पीजी कॉलेज बेमेतरा, कन्या बेमेतरा, साजा, पीजी कॉलेज कवर्धा, कन्या महाविद्यालय कवर्धा, पांडातराई, खुर्सीपार, पीजी कॉलेज बालोद शामिल है।
वेबिनार के अंत में डॉ घनश्याम ने आभार ज्ञापित किया।

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