दुर्ग। सेंट जेवियर्स कॉलेज तमिलनाडु के रिसर्च साइंटिस्ट डॉ जी सहाय एंथनी जेवियर ने कहा कि मनुष्य की गतिविधियों के कारण अनेक जीव जंतु विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्ति की कगार पर हैं। इससे पूरा इकोलॉजी प्रभावित हुआ है जो नित नई चुनौतियां उत्पन्न कर रहा है। उन्होंने ब्रम्हाण्ड की उत्पत्ति तथा जीवन की शुरुवात की रोचक जानकारी दी। डॉ एंथनी जेवयर शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग के वनस्पतिशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय वेबीनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने पौधों एवं जीव-जन्तुओं की विभिन्न प्रजातियों के विलुप्त होने की जानकारी देते हुए प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट एलीफैंट आदि की विस्तार से चर्चा की। इससे पूर्व वनस्पतिशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ जीएस ठाकुर ने उनका परिचय प्रदान किया।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ आर.एन.सिंह तथा वनस्पतिशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ जी.एस.ठाकुर ने बताया कि मुख्य रूप से वनस्पतिशास्त्र विषय में नवीनतम जानकारी विद्यार्थियों को उपलब्ध करवाने हेतु इस वेबीनार का आय़ोजन किया गया है। डॉ रंजना श्रीवास्तव ने वेबीनार के महत्व एवं उसकी वर्तमान समय में प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
वनस्पतिशास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ सतीष सेन ने बताया कि इस राष्ट्रीय वेबीनार में तमिलनाडु, आसम, मणिपुर, अरूणाचन प्रदेश, नागालैंड, कर्नाटक, तेलंगाना, केरल, आंध्रप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के महाविद्यालयों के प्राध्यापकों विद्यार्थियों तथा शोधकर्तायों ने हिस्सा लिया। प्राचार्य डॉ आर.एन. सिंह की अस्वस्थता के कारण उनके संदेश का वाचन डॉ जी.एस.ठाकुर ने किया। प्रथम आमंत्रित व्याख्यान में सरदार कोर्सी नगर कृषि विश्वविद्यालय गुजरात के डॉ गौरव एस दवे ने जीनोम अनुक्रमण पर सारगर्भित जानकारी दी।
अतिथि वक्ताओं के व्याख्यान के पश्चात् प्रश्नोत्तरी सत्र में साइंस कॉलेज दुर्ग की डॉ संजू सिन्हा, स्वाती अग्रवाल, तामेश्वरी, धर्मेन्द्र आरती, उमाशंकर, हिमानी टंडन, श्यामू, गरिमा सिन्हा, आर वीणा तथा रेशमा मंडावी ने प्रश्नोत्तर सत्र में योगदान दिया। धन्यवाद ज्ञापन दानेश्वर प्रसाद (शोधार्थी) ने किया।
वेबीनार की सहसंयोजक डॉ गायत्री पाण्डेय तथा डॉ के. आई टोप्पों ने वेबीनार को विद्यार्थियों हेतु अत्यंत उपयोगी बताया। उन्होंने बताया कि विद्यार्थियों को वनस्पतिशास्त्र विषय में चल रही नवीन शोधों की जानकारी प्राप्त हुई। वेबीनार के आयोजन में कम्प्यूटर साइंस विभाग के डॉ दिलीप साहू एवं वनस्पतिशास्त्र विभाग का शोधार्थियों का उल्लेखनीय योगदान रहा।