दुर्ग। डेकोपाज एक ऐसी कला है जिससे किसी भी वस्तु को खूबसूरत अंदाज दिया जा सकता है, फिर वह खाली बोतलें ही क्यों न हों। डेकोपाज आर्टिस्ट प्रज्ञा जैन का मानना है कि यदि दिव्यांगजनों को यह कला सिखा दी जाए तो उनका जीवन भी रौशन हो सकता है। पटाया, थाईलैंड में डेकोपाज क्रिएशंस को आभिजात्य वर्ग के बीच लोकप्रिय बनाने के प्रयास किये गये हैं जिसके अच्छे नतीजे आए हैं।वर्चुअल साक्षात्कार में प्रज्ञा ने बताया कि 2020 के पहले लॉकडाउन के दौरान वे अपना समय नष्ट नहीं करना चाहती थीं। उन्होंने यह अपनी एक रिश्तेदार से यह कला सीखी। लगातार काम करती रहीं और दक्षता का स्तर भी बढ़ता गया। खाली बोतलें, लकड़ी या एमडीएफ के टुकड़े, टेबल पर अचार-चटनी की बर्नी रखने का पात्र, हर वस्तु को उन्होंने एक नया रूप-रंग देना शुरू कर दिया। आज उनका बागीचा भी इन कृतियों से सज गया है।
प्रज्ञा ने बताया कि हालांकि पेशे से वे टीचर हैं पर मन से वे हमेशा कलाप्रेमी रही हैं। इस काम में बहुत ज्यादा सामग्री की जरूरत नहीं पड़ती। पुरानी पत्रिकाओं की कतरनें, पैकिंग मटेरियल, मार्बल पेपर, फोटोग्राफ्स को इच्छानुसार काटकर कोलाज बनाया जा सकता है। फर्क केवल इतना है कि इसे शीट की जगह किसी वस्तु पर चिपकाया जाता है। वस्तु ऐसी हो जिसकी सतह चिकनी हो ओर जिसपर इन्हें चिपकाया जा सकता हो। इसके बाद उसपर वार्निश की परतें चढ़ा दी जाती हैं। इससे वह नमी और धूल से सुरक्षित हो जाता है। मूलतः यह फ्रांस की कला है पर अब पूरी दुनिया में इसका प्रसार हो गया है। डेकोपज क्रिएशन किसी भी इंटीरियर को चार-चांद लगा देता है। इसका उपयोग कुछ सीमाओं के साथ गार्डन या बाल्कनी में भी किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि दिव्यांगजनों को यह कला सिखा दी जाए और मेलों के माध्यम से इन वस्तुओं का विपणन किया जाए तो उन्हें स्वावलंबी बनाया जा सकता है। इस कला में रोजगार के साथ-साथ कुछ खूबसूरत गढ़ने का सुख और खुशी भी है। अपने फेसबुक पेज और इंस्टाग्राम आईडी your art factory के जरिए वे इस कला का प्रचार प्रसार कर रही हैं।