भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय की अंकुरण इकाई द्वारा सुखे फल, फूल, टहनी एवं अनुपयोगी सामानों से कलात्मक पॉट, गुलदस्ता, झूमर एवं फाउन्टेन बनाने की कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह एक जापानी कला है जिसे इकेबाना कहा जाता है। अंकुरण इकाई कि संयोजिका सुनीता शर्मा ने बताया कि हम अपने आस-पास पड़े सुखे फल, फूल, टहनी, पत्तियों से सुंदर सजावट के सामान बना सकते हैं। आजकल घर हो या होटल, इंटीरियर को इन सामानो से सजाया जाता है। सुनीता शर्मा एवं अंकुरण इकाई की सदस्य उषा साहू, सुपर्णा भक्ता, सहायक, जानकी जंघेल ने सूखे फल, फूल, पत्ती, टहनी आदि के साथ पुराने मटके, आदि अनुपयोगी वस्तु का उपयोग कर फाउन्टेन, फ्लावर पॉट, गुलदस्ता, चिडिया, आदि बनाना सिखाया। प्राकृतिक अपशिष्ट से बनी यह वस्तुये रचनात्मक कल्पनाशिलता का परिचय देती है।
महाविद्यालय के सीओओ डॉ दीपक शर्मा ने कहा कि प्राचीन समय में सूखे फल पत्ती से खाद बनाया जाता था महाविद्यालय द्वारा उनका प्रयोग कलात्मक एवं सजावटी सामान बनाने में किया जा रहा है जो अुनपयोगी वस्तुओं का रचनात्मक उपयोग कैसे किया जाये इस दिशा में एक रचनात्मक पहल है।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने कहा कि वेस्ट मटेरियल से सजाने की वस्तु बनाकर घर को सजाना एक अलग खुशी देता है। सूखे फल, फूल, पत्ती, टहनी का पुनः उपयोग करना पर्यावरण सुरक्षा के लिए एक सार्थक प्रयास है। प्रत्येक व्यक्ति एवं वेस्ट मटेरियल से एक सजावटी का सामान बनाकर अपने घर को सजाये तो इससे वातावरण में प्रदूषण कम होगा। गन्दगी नही होगी एवं घर भी सजाया जा सकता है।