दुर्ग। शासकीय वि.या.ता. महाविद्यालय के भौतिकी विभाग के छात्रों द्वारा शिक्षक दिवस का कार्यक्रम मनाया गया। कार्यक्रम कोविड-19 के नियमों का ध्यान रखते हुए किया गया। इस कार्यक्रम में विभाग के सभी प्राध्यापकों सहित एम.एससी. प्रथम व अंतिम के सभी छात्रगण उपस्थित रहे।कार्यक्रम संचालक अभिनव ने बताया कि भारत में टीचर्स डे मानाने की शुरुआत वर्ष 1962 से हुई थी। इसे भारत के पूर्व उप-राष्ट्रपति एवं विद्वान शिक्षक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस पर मनाया जाता है।
भौतिकी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. पूर्णा बोस ने कहा कि शिक्षा प्रदान करने वाला जरूरी नही कि कोई आपसे बड़ा ही हो, वो आपका छोटा भाई, मित्र, परिवार के सदस्य भी हो सकता हैं, तत्पश्चात उन्होंने सभी छात्रों को सफलता के लिए आशीर्वाद दिया।
आई.क्यू.ए.सी. कोऑर्डिनेटर डॉ. जगजीत कौर सलूजा ने कहा कि शिक्षक ही केवल वह व्यक्ति होता है, जो यह चाहता है कि उसका छात्र उससे भी आगे निकले साथ ही साथ उन्होंने विद्यार्थियों को लिखने की आदत जारी रखने के लिए कहा।
भौतिकी परिषद प्रभारी डॉ. अनिता शुक्ला ने भी छात्रों को सम्बोधित किया डॉ. अभिषेक कुमार मिश्रा ने कहा कि चन्द्रगुप्त बनने के लिए गुरू चाणक्य और अर्जुन बनने के लिए भी गुरु द्रोण की आवश्यकता होती है। श्रीमती सितेश्वरी चन्द्राकर ने भी छात्रों को सम्बोधित करते हुए शिक्षा में अभ्यास के महत्व को बताया। डॉ स्वागता बेरा ने भी छात्रों को उज्जवल भविष्य की शुभकामनाए प्रेषित की।
कार्यक्रम में एम.एससी. अंतिम के आकर्षित बरनवाल ने अपनी स्वरचित कविता गुरुजनों को अर्पित की और कहा कि परिजन बेशक हमें गढ़ते हैं, किन्तु शिक्षक हमें रचते हैं। एम.एस.सी. अंतिम की ही मेघा सारथी ने शिक्षक दिवस पर अपने सुंदर विचार रखे। भौतिकी परिषद की सहसचिव काजल राजपूत ने कविता पाठ किया। एम. एससी. तृतीय सेम. के मेजराम जोशी ने डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के बारे में विस्तार से बताया। अंत मे कार्यक्रम का आभार भौतिकी परिषद की सचिव समता सालेचा ने किया और सभी शिक्षकगण को नमन किया। प्राचार्य डाॅ. आर.एन. सिंह ने सभी विद्यार्थियों को आशीर्वाद और प्राध्यापकों को शुभकामनायें प्रेषित की।