भिलाई। विश्व मधुमेह दिवस के अवसर पर स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में “मधुमेह देखभाल तक पहुंच” पर चर्चा का आयोजन किया गया। माइक्रोबॉयोलाजी की विभागाध्यक्ष डॉ शमा ए बेग ने बताया कि इस वर्ष की थीम की जानकारी देते हुए बताया कि इंसुलिन की खोज के सौ वर्षो बाद भी दुनिया में लाखों लोग इससे पीडित है और ठीक से देखभाल न होने के कारण शारीरिक जटिलताओ में उलझ जाते हैं।मधुमेह का इलाज किया जा सकता है। मधुमेह तब होता है जब अग्नाशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता। विश्व में लगभग चार सौ बाइस मिलियन लोग मधुमेह के साथ जी रहे हैं। इससे दूसरी बीमारियॉ भी हो जाती है जैसे-किडनी फेल्योर, दिल का दौरा, स्ट्रोक इत्यादि। मधुमेह दो प्रकार का होता है- टाइप-1 और 2। हेल्दी डाइट शारीरिक गतिविधि और तंबाकू के सेवन से बचना मधुमेह को रोक सकता है। विज्ञान ने तरक्की के साथ ही मधुमेह के नवीन उपचारों का आविष्कार किया है जैसे इंसुलिन पेन, एआईडी तथा कृत्रिम अग्नाश्य।
महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ दीपक शर्मा ने बताया कि डायबिटीज को लेकर कई तरह की भ्रांतिया लोगों के मन में रहती है, जो बीमारी से ज्यादा खतरनाक है। जैसे ज्यादा चीनी खाने से डायबिटीज होता है यह सत्य नहीं है। अतः हमें हमारी दिनचर्या में व्यायाम और संतुलित आहार का संतुलन रख मधुमेह से बचा जा सकता है।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने बताया कि प्रतिदिन यदि हम हमारी दिनचर्या व्यवस्थित रखें, खान-पान नियमित करें और डब्बा बंद पदार्थो का सेवन कम करें तो स्वस्थ रहकर मधुमेह से बचा जा सकता है।
डॉ. शिवानी शर्मा विभागाध्यक्ष बॉयोटेक्नोलाजी ने बताया कि मधुमेह रोगी को दॉंतों की सफाई भी आवश्यक है जिससे विभिन्न रोगों से बचा जा सकता है।
डॉ. पूनम शुक्ला, सहायक प्राध्यापक शिक्षा ने बताया कि शुगर फ्री टेबलेट्स/स्वीटनर का इस्तेमाल भी हमारी हड्डियों को प्रभावित करता है अतएव मधुमेह रोगियों को शुगर फ्री से भी बचना चाहिए।
डॉ मंजूषा नामदेव ने कहा कि हमें अपने भोजन में अंकुरित भोजन का उपयोग करना चाहिये जिससे हम मधुमेह को संतुलित कर सकते है।
छात्रा योगप्रज्ञा साहू-एमएससी तृतीय सेमेस्टर ने बताया कि विश्व मधुमेह दिवस इसलिए आयोजित किया जाता है जिससे हम लोगों के बीच मधुमेह के कारण और निदान के प्रति जागरूकता फैलाये।
कार्यक्रम में एमएससी रसायन शास्त्र, बॉयोटेक्नोलाजी माईक्रोबायोलाजी के छात्र और प्राध्यापकगण उपस्थित थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में सहायक प्राध्यापक माइक्रोबायायोलाजी अरूण कुमार साहू का योगदान रहा।
छात्र-छात्राओं ने अपने घर के आस-पास रहने वाले लोगो को डायबिटिज के लक्षण, परीक्षण और खान-पान के बारे में बताकर जागरूक किया।