दुर्ग। शासकीय तामस्कर स्नातकोत्तर महाविद्यालय के गणित विभाग में महिला दिवस मनाया गया। कार्यक्रम का विषय ‘‘आफिस एटिकेट हैलो मैं आफिस में हूं’’ था। संचालक डॉ. प्राची सिंह ने कार्यक्रम की रूपरेखा और प्रस्तावना की जानकारी दी। संयोजक डॉ. पद्मावती के उद्बोधन से कार्यक्रम की शुरूआत हुई। इसमें विभाग से एमओयू के द्वारा जुड़े संस्थानों ने भी भागीदारी दी।
इसमें विभाग के एम.ओ.यू. से जुडे संस्थान बस्तर विश्वविद्यालय, उच्च शिक्षा गुणवक्ता संस्थान भोपाल, रामानुजन शोध संस्थान, शास. माधव विज्ञान महाविद्यालय, उज्जैन और बी.आई.टी., दुर्ग के प्राध्यापकों और विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी रही।
डॉ पद्मावती ने कार्यस्थल पर पहने जाने वाले कपड़ों के विषय में बाच-चीत की उन्होंने कहा कि हमारे वस्त्र हमेशा शालीन होने चाहिए जिससे कोई हमारे सामने या पीठ पीछे हमें कोई व्यंग्य न कर सके। उज्जैन से जुड़ी परीक्षा वागले मैडम ने भी इन बातों का समर्थन किया और व्यवहार पर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया।
भोपाल की वैशाली देशमुख मैडम ने कहा कि किसी भी हाल में अपनी स्वतंत्रता पर आॅच नही आना चाहिए, सुरक्षित रहकर हर जगह काम किया जा सकता है। काम समय पर पूरा करना, फोन का उचित उपयोग करना ये सब आफिस में व्यवहार के उचित तरीकें है।
बस्तर विश्वविद्यालय जगदलपुर की मैडम रानी मैथ्यू ने आफिस में प्रताड़ना विषय पर सारगर्भित बात रखी। मैडम ने कहा कि यदि कहीं काम किसी भी कारणवश पसंद न आए तो अपनी क्षमता, अपनी योग्यता को इस तरह बढ़ाकर रखना है कि हम उस काम को छोड़कर दूसरे काम को पकड़ सकें। मैडम ने प्रताड़ना के विरोध में कानून की धाराओं का उल्लेख किया और हेल्प लाइन नंबर 1098 की जानकारी दी। कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई। विद्यार्थी चंचल मढ़रिया ने विषय के अनुरूप एक कविता पढ़ी।
विद्यार्थी प्रतिमा चंद ने गांव में रहने वाली पढ़ी अनपढ़ी महिलाओं को भी जागरूक करने की बात कही जिसके लिए डॉ प्राची सिंह और मैडम रानी मैथ्यू ने सहर्ष स्वीकृति दी। विद्यार्थी अक्षय चंद्राकर ने मैडम से पूछा कि यदि कोई हैकर मोबाईल नंबर का गलत इस्तेमाल करता है तो क्या किया जाए। उत्तर में मैडम मैथ्यू ने कहा कि पहले अपने मोबाईल फोन की सुरक्षा करे फिर साइबर सेल में शिकायत करके समाधान प्राप्त करें। विद्यार्थी प्रमीला नाग ने अपनी सहेली के साथ हुए दुव्र्यवहार की विस्तृत चर्चा की। मैथ्यू मैडम ने सलाह दी कि प्रताड़ना किसी भी स्तर पर स्वीकार न की जाए इसकी सूचना प्राचार्य तक अवश्य पहुंचे यदि वहां भी हल न निकले तो 1098 का उपयोग करे और समाधान प्राप्त करें। डरें नहीं, झुके नहीं।
महाविद्याविद्यालय के प्राचार्य और विभाग के संरक्षक डॉ आर.एन. सिंह पूरे कार्यक्रम के दौरान जुडे़ रहे और संस्थानों में होने वाली प्रताड़ना से बचाव के लिए शासन के नियमों की जानकारी दी । उन्होंने कहा कि यह संस्था प्रमुख का सर्वप्रथम कर्तब्य है कि संस्था में किसी भी तरीके से प्रताड़ना न होने पायें।
कार्यक्रम के अंत में आमंत्रित अतिथियों और विद्यार्थियों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम सचिव डाॅ. प्राची सिंह ने कहा कि कुल मिलाकर हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते है कि हम पढ़-लिखकर यह सीखें कि परिस्थिति अनुरूप हम किस तरह व्यवहार करें कि हमारे किसी भी व्यवहार से किसी का अहित न हो, कोई आहत न हो, किसी को आपत्ति न हो। यहां पर अहित आहत या आपत्ति स्वयं को भी नही होना चाहिए अर्थात हम किसी के दबाव में आकर स्वयं आहत न हो न ही अपना अहित कर लें। अपना व्यक्तित्व इस प्रकार बनाना है कि कोई ऊगली न उठा सके तभी हमारी शिक्षा की सार्थकता है।