दुर्ग। शासकीय डॉ वावा पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में स्नातकोत्तर गृह विज्ञान विभाग के तत्वाधान में बोरे बासी दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ सुशील चन्द्र तिवारी ने कहा कि युवा वर्ग को अपनी संस्कृति व परम्पराओं की विशेषता से परिचित होना आवश्यक है। हमारा पारम्परिक भोजन एक ओर जहां पौष्टिकता से भरपूर है वहीं आसानी से सुलभ भी है।आहार एवं पोषण की विभाग प्रमुख डॉ अमिता सहगल ने बासी के बनाने की प्रक्रिया से उसकी पौष्टिकता पर सविस्तार प्रकाश डाला। उन्होनें कहा कि यह हमारे पाचन तंत्र के माध्यम से रक्तचाप को संतुलित करता है। बासी पावर हाउस का कार्य करता है। मेहनतकशों के लिए अमृत तुल्य है।
डॉ अल्का दुग्गल ने बोरे बासी के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव की चर्चा की तो डॉ मीनाक्षी अग्रवाल ने बोरे बासी की ठण्डी तासीर की बात करते हुए इसे ठण्ड के दिनों में तथा सर्दी जुकाम से पीड़ितों को परहेज करने को कहा।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रभारी प्राध्यापक डॉ रेशमा लाकेश ने बोरे बासी को सुपर एनर्जी फूड बताते हुए इसे प्याज, अचार, हरी मिर्च, मठा, भाजी के साथ खाने की बात कही। उन्होंने कहा कि इसमें उपलब्ध कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम जैसे खनिज प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है।
डॉ ऋचा ठाकुर ने लोकगीत के माध्यम से बासी के महत्व को बड़े सुन्दर ढंग से बताया।
इस अवसर पर छात्राओं ने भी अपने विचार रखे। छात्राओं ने बोरे बासी को तैयार कर विभिन्न अचार, भाजियों के साथ प्रदर्शित किया, जिसकी सभी ने सराहना की।