भिलाई। खगोलभौतिकी की दुनिया बेहद रोमांचक और दिलचस्प है। एक तरफ सर्वग्रासी ब्लैक होल हैं तो दूसरी तरफ लाखों किलीमीटर दूर का रहस्यमय संसार। हमारे पूर्वजों ने भी इस दिशा में काफी काम किया और अनेक रहस्यों पर से पर्दा उठाया। विख्यात खगोलभौतिक शास्त्री जयंत विष्णु नरलीकर के जन्मदिवस के अवसर पर एमजे कालेज के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने उक्त बातें कहीं। वे विज्ञान संकाय द्वारा आयोजित ‘साइंस टॉक’ को मुख्य वक्ता की आसंदी से संबोधित कर रहे थे।
डॉ चौबे ने बताया कि यह उनका सौभाग्य है कि उन्होंने अपनी पीएचडी की उपाधि श्री नरलीकर के करकमलों से प्राप्त की। 19 जुलाई को उनका जन्मदिवस है। उन्होंने न केवल इस विषय पर महत्वपूर्ण शोध किया है बल्कि विषय को लोकप्रिय बनाने के लिए कई किताबें लिखी हैं। उन्होंने हिन्दी में एक, अंग्रेजी में तीन तथा मराठी में आठ फिक्शन स्टोरीज लिखी हैं जो इस रहस्यमयी दुनिया के बारे में हमें बताती हैं। इसके अलावा विज्ञान के विद्यार्थियों तथा शोधार्थियों के लिए भी उन्होंने 21 किताबें लिखी हैं।
प्राचार्य डॉ चौबे ने अंतरिक्ष में स्थापित प्रयोगशालाओं, टेलीस्कोप, ब्लैक होल, वार्प थियरी आदि की जानकारी देते हुए विद्यार्थियों की जिज्ञासाओं को शांत किया। उन्होंने बताया कि हमारे पूर्वजों ने भी खगोल पिंडों के बारे में काफी जानकारियां हासिल कर ली थीं पर उन्हें शायद इसका डाक्यूमेंटेशन करना जरूरी नहीं लगा। उन्होंने इसके निचोड़ को संस्कार के रूप में हमारे जीवन में शामिल कर दिया। इसलिए हमारे पास निष्कर्ष तो हैं पर उनतक कैसे पहुंचा गया, इसके बारे में जानकारी कम ही है। यह एक अत्यंत रोच क्षेत्र है जो सृष्टि की रचना पर आलोकपात करता है।
महाविद्यालय की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर की प्रेरणा से इस तरह के व्याख्यानों का आयोजन किया जा रहा है। आईक्यूएसी के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम में विज्ञान संकाय की एचओडी सलोनी बासु, गणित संकाय की एचओडी रजनी कुमारी तथा कम्प्यूटर साइंस विभाग की एचओडी पीएम अवंतिका के साथ ही अन्य सहायक प्राध्यापकगण उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन बायोटेक की सहायक प्राध्यापक प्रीति देवांगन ने किया।