दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग में हिन्दी विभाग द्वारा 30 जुलाई को मुंशी प्रेमचंद जयंती के उपलक्ष्य में प्रख्यात कथाकार हरि भटनागर की उपस्थिति में कथा संवाद (कहानी पाठ एवं बातचीत) का आयोजन किया गया। विभाग के अध्यक्ष डाॅ. अभिनेष सुराना ने स्वागत भाषण में कहा कि प्रेमचंद हमेशा शोषित-पीड़ित जन के पक्ष में खड़े होते नजर आते हैं। प्रेमचंद का साहित्य भारतीय समाज का दर्पण है।
विभाग के प्राध्यापक डाॅ. जय प्रकाश ने अतिथि वक्ता कथाकार हरि भटनागर का परिचय देते हुए उनकी प्रमुख कहानियों तथा उनके कथा शिल्प का उल्लेख किया। महाविद्यालय के प्राचार्य एम.ए. सिद्दीकी ने आयोजन के लिए बधाई दी। इस अवसर उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि प्रेमचंद एक लेखक के रूप में साधारण जन के बीच लोकप्रिय थे। उनकी पंच-परमेश्वर कहानी न्याय के लिए संघर्ष के लिए हमेशा याद की जाती रहेगी।
अतिथि वक्ता हरि भटनागर ने अपनी ‘घोंसला’ कहानी का पाठ किया। कहानी पाठ के बाद विद्यार्थियों तथा शोध-छात्रों ने कहानी-कला तथा उनकी कहानियों के बारे में अनेक प्रश्न किये। श्री भटनागर ने इन प्रश्नों का बहुत ही सहज-सरल जवाब दिया। उन्होंने कहा – कहानी दुनिया को खुली आखों से देखने समझने से बनती है। हम जिन्हें कमजोर समझते है, संगठित होकर वे भी ताकतवर हो जाते हैं। वह भी अन्याय का प्रतिरोध कर सकते है। उन्होंने कहानी लेखन के लिए सूक्ष्म दृष्टि तथा उपयुक्त भाषा के तलाष को आवष्यक बताया।
उनके घोसला कहानी का मूल स्वर अस्तित्व की लड़ाई है। एक पक्षी अपने घोसला बचाने के लिए लड़ सकता है तो आदमी व्यवस्था की विदु्रपता के विरुद्ध क्यों नही लड़ सकता?
कथा-संवाद का यह कार्यक्रम छात्र-छात्राओं के लिए ज्ञानवर्धक एवं प्रेरणादायी रहा। इस कार्यक्रम में लगभग 150 विद्यार्थी तथा 25 शोधार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में नगर के साहित्यकार शरद कोकास, बुध्दिलाल पाल, नासिर अहमद सिंकदर, डाॅ. अम्बरीश त्रिपाठी, डाॅ. दुर्गा शुक्ला विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में विभाग के प्राध्यापक डाॅ. बलजीत कौर, डाॅ. कृष्णा चटर्जी का योगदान रहा। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. रजनीश उमरे ने तथा आभार प्रदर्षन प्रो. थानसिंह वर्मा ने किया।