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क्षमताओं का सामंजस्य व्यक्ति व संस्था के विकास के लिए जरूरी- प्रो. त्रिपाठी

Sep 22, 2022

अमरकंटक विवि में सामाजिक विज्ञान के शिक्षकों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम

अमरकंटक। स्थानीय भाषा में अध्यापन भारत में शिक्षण एवं शोध के क्षेत्र में एक बड़ी चुनौती है. देश के विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं जिससे संवाद बाधित होता है. उक्त बातें आईसीएसएसआर के सदस्य प्रो. पी कनगासबापथि ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि की आसंदी से व्यक्त किये. उन्होंने भारत की विकास यात्रा की चर्चा करते हुए यह स्पष्ट किया कि किस तरह कौटिल्य के समय से लेकर अब तक विकास की परिभाषा बदल गई है.
पखवाड़ा व्यापी इस कार्यक्रम का आयोजन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय आदिवासी विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग द्वारा किया गया है. यह कार्यक्रम इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस एंड रिसर्च द्वारा प्रायोजित है. 19 से 30 सितम्बर तक चलने वाले इस कार्यक्रम का उद्देश्य विभाग के नवागंतुक फैकल्टी मेम्बर्स में शिक्षण एवं शोध की क्षमता विकसित करना है. बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रो. राकेश रमन कार्यक्रम के मुख्य वक्ता थे. श्रीशील मंडल, अमरकंटक की अध्यक्ष श्रीमती शीला त्रिपाठी विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थीं.
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. प्रकाशमणि त्रिपाठी ने सामाजिक विज्ञान में शोध के लिए क्षमता निर्माण के महत्व को रेखांकित किया. तीन प्रकार की क्षमताओं की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्तिगत, संस्थागत एवं पर्यावरणीय क्षमताओं के बीच बेहतर सामंजस्य व्यक्ति एवं संस्था के विकास के लिए जरूरी है. उन्होंने कहा कि हमें सतत् विकास लक्ष्यों को ध्यान में रखना होगा क्योंकि हम संसाधनों के संरक्षक भी हैं. उन्होंने कहा कि हमें समग्र क्षमताओं पर अपना ध्यान केन्द्रित करना होगा ताकि व्यक्तियों, संस्थाओं, समाज एवं देश सबकी उन्नति हो सके.
पाठ्यक्रम निदेशक प्रोफेसर रक्षा सिंह ने इस पखवाड़ा व्यापी कार्यक्रम के तकनीकी सत्रों की चर्चा की. इन सत्रों का उद्देश्य प्रतिभागियों के कौशल तथा योग्यताओं में इजाफा करना है. उन्होंने कार्यक्रम को प्रायोजित करने के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस एंड रिसर्च के प्रति आभार जताया. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस कार्यक्रम का लाभ प्रतिभागियों के साथ ही विद्यार्थियों को भी मिलेगा. उन्होंने पाठ्यक्रम सहनिदेशक डॉ विनोद सेन एवं विभाग के विद्यार्थियों के प्रति भी आभार जताया जिनके सक्रिय सहयोग से यह आयोजन संभव हुआ है.
बीएचयू के प्रो. राकेश रमन ने अल्प समय में आईजीएनटीयू द्वारा अधोसंरचना में किये गये इजाफे को सराहा. उन्होंने नॉलेज इकॉनॉमी की चर्चा करते हुए कहा कि इसमें नवाचार, कौशल एवं शोध के साथ ही इन तीनों घटकों की मात्रा एवं आयाम का भी महत्व है. उन्होंने कहा कि क्षमता विकास में हमें सभी आयामों पर जोर देना चाहिए जिसमें शिक्षण, शोध एवं प्रबंधकीय क्षमताओं का विकास करना शामिल है. शिक्षण और शोध को साथ-साथ आगे बढ़ना होगा.
अर्थशास्त्र की एचओडी नीति जैन ने विभाग द्वारा संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों की जानकारी दी. उन्होंने इन पाठ्यक्रमों के आदिवासी अर्थव्यवस्था से जुड़ाव को भी स्पष्ट किया.
सामाजिक विज्ञान संकाय की डीन प्रो. रंजिनी हसिनी साहू ने इस आयोजन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह अर्थशास्त्र एवं सामाजिक विज्ञान संकायों की सामूहिक उपलब्धि है. उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रतिभागियों के साथ ही इस कार्यक्रम का लाभ विभागों, शिक्षकों तथा विश्वविद्यालय को मिलेगा.
कार्यक्रम का संचालन डॉ आनंद सुगंधे ने किया. धन्यवाद ज्ञापन पाठ्यक्रम सह निदेशक डॉ विनोद सेन ने किया. इस अवसर पर कुलसचिव पी सिलुवइनाथन, सीओई प्रो. एनएस हरि नारायणा मूर्ति, डीन अकादमिक प्रो. आलोक श्रोत्रीय, प्रो. अमरेन्द्र प्रताप सिंह, प्रो. अजय वाघ, प्रो. एमटीवी नागराजू, प्रो. अनुपम शर्मा, प्रो. रेणु सिंह, डॉ नागेन्द्र सिंह, डॉ जीतेन्द्र शर्मा, फैकल्टी मेम्बर्स सहित विद्यार्थी एवं प्रतिभागी बड़ी संख्या में उपस्थित थे.

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