भिलाई। हालांकि मानसिक रोगों का एक अपना विज्ञान है पर कुछ न्यूरोलॉजिकल कंडीशन भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. मस्तिष्क को चोट लगने पर, स्ट्रोक, ब्रेन फीवर, पार्किंसन्स डिजीज, अलझाइमर, मल्टिपल स्क्लेरोसिस, मिर्गी आदि भी मानसिक व्याधियों का कारण बन सकते हैं. इससे रोगियों के जीवन की गुणवत्ता कम हो सकती है और उनके लिए सहज जीवन यापन कठिन हो सकता है. उक्त बातें आज हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ नचिकेत दीक्षित एवं न्यूरो सर्जन डॉ दीपक बंसल ने पत्रकारों के सवालों के जवाब में कहीं.
डॉ दीक्षित एवं डॉ बंसल आज विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे. डॉ दीक्षित ने बताया कि न्यूरो समस्याओं और मानसिक रोगों में गहरा संबंध होता है. कुछ न्यूरोलॉजिकल समस्याएं ऐसी होती हैं जिसमें मरीज के व्यवहार में परिवर्तन आ जाता है. पर न्यूरो समस्या के समाधान के साथ ही वह ठीक भी हो जाता है. पर कुछ ऐसी परेशानियां भी होती हैं जिसका समाधान केवल एक योग्य साइकियाट्रिस्ट ही कर सकता है.
पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए न्यूरो सर्जन डॉ दीपक बंसल ने कहा कि मस्तिष्क और रीढ़ की कोई भी बीमारी आपको काफी परेशान कर सकती है. इसकी वजह से हीन भावना आ सकती है, व्यक्ति डिप्रेशन में जा सकता है. स्वास्थ्यगत कारणों से लोग आत्महत्या तक कर लेते हैं. इसलिए न्यूरो और साइको विषय काफी गहरे तक आपस में गुंथे हुए हैं. इसलिए हमें दोनों सिरों पर काम करना होता है. एक तरफ जहां न्यूरो विशेषज्ञ व्याधियों को दूर करने की कोशिश करते हैं वहीं साइकियाट्रिस्ट मरीज को शांत कर उसके मनोबल को बनाए रखने की चेष्टा करते हैं.
डॉ दीक्षित ने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि न्यूरोसाइकियाट्री एक नई विधा है जिसमें न्यूरोलॉजिस्ट एवं साइकियाट्रिस्ट मिलकर काम करते हैं. किसी भी तरह के ट्रॉमा का असर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है जिसमें मिलकर काम करने की आवश्यकता होती है. बेहतर है लोग इन लक्षणों को समझें और जल्द से जल्द चिकित्सकीय मदद हासिल करें.