दुर्ग. शासकीय डाॅ. वा.वा. पाटणकर कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में हिन्दी विभाग द्वारा बसंत पंचमी व सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला जयंती का आयोजन किया गया. प्राचार्य डाॅ. सुशील चन्द्र तिवारी ने कहा कि निरालाजी की कविताओं में विविधता है, उनकी कविता का प्रत्येक शब्द गहन अर्थ लिए हुए है. उनकी मुख्य कविताओं की चर्चा करते हुए कहा कि स्वंत्रता आंदोलन में भी निराला की कलम का योगदान रहा है. वे मस्त-मौला कवि थे.
महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डाॅ. डी.सी. अग्रवाल ने कहा कि निरालाजी अद्वितीय प्रतिभा के धनी थे. उनकी कविताओं को विदेशों में भी अनूदित किया गया है. स्वतंत्रता आन्दोलन में वैज्ञानिक क्रांति लाने में उनकी कविताओं का बहुत योगदान रहा है. इनकी कवितायें ओज से परिपूर्ण है.
ज्योति भरणे, सहायक प्राध्यापक हिन्दी ने कहा कि निराला विद्रोह व परिवर्तन के कवि हैं. वे दीन दुखियों को सताने वालों पर तीव्र प्रहार किया करते थे. शोषक एवं पूंजीपतियों को उन्होंने खूब खरी-खोटी सुनाई. निराला की साहित्यिक रचनाओं-वर दे वीणा वादिनी वर दे, वह तोड़ती पत्थर, भारती जय विजय करें, कुकुरमुत्ता, राम की शक्तिपूजा, सरोज स्मृति, हिन्दी के सुमनों के प्रति पत्र, जागो एक बार आदिम हाविद्यालय की छात्रायें किरण सोनबेर, खुशबू हरमुख, कुसुम ध्रुव, प्रेरणा, निधि यादव, भूमिका ने सस्वरकाव्य पाठ किया.
कार्यक्रम का संचालन आरती सिंह राठौर व आभार प्रदर्शन डाॅ यशेवश्री ध्रुव, विभागाध्यक्ष हिन्दी ने किया.