जोशीमठ. उत्तराखंड का जोशीमठ इलाका दरक रहा है. जमीन में दरारें पड़ रही हैं, मकान टूट रहे हैं. भुरभुरी जमीन पर बसे जोशीमठ में यह आपदा मनुष्य की अपनी बुलाई हुई है. यहां बड़े पैमाने पर चल रहे निर्माण कार्यों के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है. पर मुसीबत के इन क्षणों में यूथ रेड क्रॉस की 9 टीमें यहां सर्वे और राहत सामग्री पहुंचाने के कार्य में जुटी हुई हैं. इनमें से अधिकांश महाविद्यालयीन छात्राएं हैं. महाविद्यालय में इन दिनों शीतऋतु की छुट्टियां चल रही हैं.
भूधंसाव का दर्द झेल रहे जोशीमठ के डिग्री कॉलेज के यूथ रेडक्रास ने संकट की इस घड़ी में जिम्मेदारी और जोश का परिचय दिया है. स्टूडेंट्स रोज सुबह घर से निकलते हैं और रेडक्रॉस के दफ्तर पहुंच जाते हैं. वे राहत लेकर मुश्किल में आए परिवारों तक मदद पहुंचा रही हैं. इनमें से कई विद्यार्थियों के अपने घर भूधंसाव की जद में आ चुके हैं, लेकिन वे अपना गम भूल कर दूसरों की मदद में जुटे हैं.
इस टीम से जुड़ीं सिंहधार की रहने वालीं सेकंड ईयर की छात्रा मोनिका पंवार बताती हैं कि उनकी टीम रोज सुबह घर से निकलती है. सभी रेडक्रॉस के दफ्तर में जुटते हैं. इसके बाद सभी टीमें प्रभावित इलाकों के सर्वे के लिए निकल पड़ती हैं. फिर जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाने का काम शुरू होता है. जोशीमठ के सबसे प्रभावित इलाकों में सिंहधार भी है. मोनिका के खुद के घर में दरारें हैं. गोशाला टूटने वाली है. बावजूद इसके वह दूसरे के दर्द बांटने में जुटी हैं. उनकी टीम की दो लड़कियां गीता और अंकिता को भी अपना घर खाली करना पड़ा है.
इस टीम से जुड़े समाजसेवी ओमप्रकाश डोभाल इन टीमों के बीच कॉर्डिनेशन का काम कर रहे हैं. डोभाल कहते हैं जोशीमठ नौ वॉर्डों में बंटा है. यूथ रेडक्रॉस की नौ टीमें बनाई गई हैं. हर टीम में पांच स्टूडेंस् हैं. कुल 45 बच्चे इस मुहिम में जुटे हैं. इसमें 30 लड़कियां और 15 लड़के हैं. इन 30 लड़कियों में से 18 ऐसी हैं, जिनके खुद के घर डैमेज हैं, इसके बावजूद वह अपना गम भुलाकर जोशीमठवासियों का दर्द बांटने में लगी हैं.
(साभार नवभारत टाइम्स)