भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय के प्रथम वर्ष के छात्रों ने पौधारोपन कर पर्यावरण संरक्षण के महत्व को जाना पर्यावरण अध्ययन, विश्वविद्यालय द्वारा निर्धारित एक अनिवार्य विषय है, जिसे पर्यावरण और उसके घटकों के संरक्षण के बारे में छात्रों में जागरूकता और ज्ञान विकसित करने के लिए शामिल किया गया.
महाविद्यालय के पर्यावरण अध्ययन प्रभारी, डा. श्वेता गायकवाड़, उषा साहू और संजना सौलोमन ने बताया कि पर्यावरण प्रदुषण, ग्रीन हाउस प्रभाव तथा ग्लोबल वार्मिंग जैसी विभिन्न समस्याओं को देखते हुए पर्यावरण अध्ययन विषय में फील्ड गतिविधि को पाठ्यक्रम में जोड़ा गया है. वृक्षारोपण कई पर्यावरणीय मुद्दों जैसे वनों की कटाई, मिट्टी का क्षरण, मरूस्थलीकरण और विभिन्न प्रकार के प्रदुषण को रोकने में सहायक होता है तथा पर्यावरण की संुदरता और संतुलन को बढ़ाता है. पेड़ हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं और आॅक्सीजन छोड़ते हैं जिसके परिणामस्वरूप आक्सीजन की आपूर्ति में वृद्धि होती है. उपरोक्त सभी बातों को ध्यान में रखते हुए काॅलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना यूनिट के सहयोग से इस वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया.
महाविद्यालय परिसर में पेड़ लगाने का उद्देश्य पेड़ों के महत्व और पर्यावरण को स्वच्छ रखने में उनकी भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाना था. इस गतिविधि से छात्रों को भारतीय औषधीय पौधों के बारे में ज्ञान और उनका उपयोग करके आयुर्वेद और प्रकृति के करीब लाने में भी सहायता मिली. गतिविधि के दौरान छात्रों को वृक्षारोपण करने की सही तकनीक भी सिखाई गई.
उन वृक्षों का चयन किया गया जो न केवल छाया प्रदान करने वाले नहीं अपितु जिनमें औषधीय गुण तथा मृदा अपरदन को रोकने की भी क्षमता थी. इनमें आम, जामुन, पीपल, कदम और नीम शामिल थे.
पेड़ के मौजूदा जड़ के आकार से कम से कम दो गुना बड़ा गढ्ढा खोदा गया, फिर पौधे को उसके बीच में धीरे से रखा गया. पौधों की जड़ों के आसपास की मिट्टी को हल्के हाथों से दबाया गया ताकि मिट्टी से जड़ का अच्छा संपर्क सुनिश्चित हो सके. आधा भरने के पश्चात् गड्ढे में पानी का छिड़काव किया गया. अंत में गड्ढे में सारी मिट्टी डालकर एक बार फिर पानी डाला गया.
प्राचार्य डाॅ. हंसा शुक्ला ने इस फील्ड वर्क के प्रति छात्रों द्वारा दिखाए गए उत्साह की सराहना की और युवाओं में पर्यावरण के प्रति जागरूकता के महत्व पर प्रकाश डाला.
महाविद्यालय के मुख्य कार्यकारणी अधिकारी डाॅ. दीपक शर्मा ने कहा इस प्रकार की गतिविधिया न केवल शैक्षणिक ज्ञान प्रदान करता है बल्कि पर्यावरण की बेहतरी के लिए इस ज्ञान को व्यावहारिक रूप में लागू करने में भी सहायक होती है.