भिलाई। लक्ष्य भेदने के लिए आक्रिमिडीज जैसी एकाग्रता होनी चाहिए. हम सोते जागते जिस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे वह सिद्ध होगा ही. उक्ता बातें एमजे समूह की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर ने एमजे कालेज के शिक्षा संकाय के सामुदायिक शिविर के समापन समारोह में व्यक्त किये. यह शिविर देवबलोदा चरौदा में लगाया गया था. विद्यार्थियों ने यहां स्थित कलचुरी कालीन शिवमंदिर के दर्शन किये और परिसर की साफ सफाई भी की.
डॉ विरुलकर ने कहा कि आर्किमिडीज को राजा ने एक विकट कार्य सौंपा था. राजा अपने नए स्वर्ण मुकुट की शुद्धता को परखना चाहते थे. पर मुकुट को पिघलाया नहीं जा सकता था. आर्किमिडीज लगातार इसका हल सोचते रहे. एक दिन जब वे बाथ टब में उतरे तो उन्होंने देखा कि पानी में प्रवेश करने पर उसका स्तर बढ़ जाता है. यह आयतन पता करने का एक फार्मूला सिद्ध हुआ. उन्होंने महसूस किया कि मुकुट का आयतन और उसका घनत्व जानकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता था कि मुकुट शुद्ध सोने का है या उसमें मिलावट की गई है. वे इस खोज से इतने उत्साहित हुए कि उन्हें कपड़े पहनने की भी सुध नहीं रही और उसी अवस्था में दौड़कर राजमहल तक पहुंच गए. यह एकाग्रता की पराकाष्ठा थी कि जिस सवाल को वे हल करना चाहते थे, उसे स्नान करते समय भी वे भूले नहीं थे. उन्होंने विद्यार्थियों को ऐसी ही एकाग्रता के साथ परीक्षा की तैयारी करने को कहा.
शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला देवबलौदा की प्रधानपाठक सूर्यशिखा लवंग कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि थीं. उन्होंने बीएड प्रशिक्षुओं के अनुशासन की प्रशंसा करते हुए कहा कि आने वाले समय में शिक्षा की जिम्मेदारी इन्हीं बच्चों के कंधों पर होगी. यदि इनमें से कुछ लोग उनके विद्यालय में आते हैं तो उन्हें खुशी होगी.
एमजे कालेज शिक्षा संकाय की अध्यक्ष डॉ श्वेता भाटिया ने कहा कि देवबलौदा का प्राचीन शिव मंदिर कलचुरी कालीन स्थापत्य कला से हमें जोड़ती है. बीएड के विद्यार्थियों को इससे प्रत्यक्ष जोड़ने के लिए एक दिवसीय सामुदायिक शिविर यहां लाया गया. विद्यार्थियों ने मंदिर के दर्शन किये तथा यहां सफाई अभियान भी चलाया.
इससे पहले विद्यार्थियों ने रैली निकालकर देवबलौदा के वार्ड 30, 31 और 32 में नशा मुक्ति का संदेश दिया. साथ ही विद्यार्थियों के लिए विभिन्न खेलकूद गतिविधियों का आयोजन किया. साथ ही पोस्टर प्रतियोगिता भी करवाई गई. वहीं बीएड प्रशिक्षुओं के लिए छत्तीसगढ़ी पारम्परिक खेलों का भी आयोजन किया गया.
समापन समारोह में विजयी प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया गया. म्यूजिकल चेयर बालिका वर्ग में निकिता, लिप्ता व जया बांधे, मिश्रित वर्ग में येशु, गरिमा तथा मानव को क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया. फर्राटा दौड़ बालिका वर्ग में लक्ष्मी, अंजलि, जीत तथा बालक वर्ग में समीर, सागर और जीत तथा रस्सीकूद दौड़ में योगिता, खुशी और मुस्कान को पुरस्कार दिया गया. चित्रकला प्रतियोगिता में कक्षावार गरिमा एवं नंदिनी, नव्या एवं छाया तथा दिलेश जोशी एवं मुस्कान को पुरस्कृत किया गया.
इस अवसर पर स्कूली विद्यार्थियों एवं बीएड प्रशिक्षुओं ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये. इस एक दिवसीय शिविर में डॉ तृषा शर्मा, अर्चना त्रिपाठी, ममता एस राहुल, शकुन्तला जलकारे, परविन्दर कौर, आराधना तिवारी, सरिता ताम्रकार के अलावा विकास सेजपाल, दीपक रंजन दास ने भी अपनी सक्रिय भागीदारी दी.