दुर्ग. शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा इन दिनों छत्तीसगढ़ शासन की बहुउद्देश्यीय योजना कौशल उन्नयन के अंतर्गत 10 दिवसीय बांस शिल्प प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजन किया जा रहा है. महाविद्यालय के समस्त संकायों के विद्यार्थी कार्यशाला में उत्साह पूर्वक भाग ले रहे है. बांस शिल्प कार्यशाला का उद्देश्य विद्यार्थियों का कौशल विकास कर उन्हें रोजगारोंन्मुख बनाना है.
कार्यशाला में बाॅस शिल्प के माध्यम से छत्तीसगढ़ अंचल की ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक धरोहरों, आदिवासी संस्कृति तथा स्थानीय बाॅस शिल्प की वस्तुओं का निर्माण कर छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति से महाविद्यालय के विद्यार्थियों के साथ-साथ आमजन को परिचित कराना है.
छत्तीसगढ़ अॅचल के सुप्रसिद्ध बांस शिल्प कलाकार राम कुमार पटेल एवं सहयोगी शुभम वर्मा के कुशल मार्ग दर्शन में महाविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा भोरम देव मंदिर, राजीव लोचन मंदिर, इंडिया गेट, गिरोदपुरी का जैत स्तंभ, गांधी जी की डांडी यात्रा तथा कृषि के परंपरागत औजारो के अतिरिक्त सजावट की अनेक मनोहारी वस्तुओं का निर्माण किया जा रहा है. कार्यशाला में प्रतिभागियों की कला प्रियता एवं रचनात्मकता देखते ही बनती है. पर्यावरण एवं स्वास्थ्य संरक्षण की दृष्टि से बाॅस से बनाई गई बोतल एवं मग अत्यंत उपयोगी एवं विशेष रूप से दर्शनीय है. आदिवासी संस्कृति के सवंर्धन के लिए जनजातिय अवदानों को बाॅस शिल्प के माध्यम से उकेरा जा रहा है. बाॅस शिल्प प्रशिक्षण कार्यशाला में विद्यार्थियों कि रूचीतथा कलात्मकता की सराहना करने हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. आर.एन.सिंह, इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. अनिल कुमार पाण्डेय एवं अन्य सभी प्राध्यापकों ने विद्यार्थियों द्वारा इस शिल्प को स्वरोजगार के रूप में अपनाने की आशा व्यक्त की है.