भिलाई। एमजे कालेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने गुरूवार को खेरधा-नारधा गांव में पारिस्थितिकी तंत्र का अध्ययन किया. महाविद्यालय की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर एवं प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने दल को शुभकामनाओं के साथ रवाना किया. यह कार्यक्रम ‘मेरी माटी मेरा देश’ के तहत किया या जिसके तहत चिन्हित ग्रामों में पंचायत की सहमति एवं सहयोग से उपवनों का विकास किया जाना है.
एनएसएस सहयोगी अधिकारी नेहा महाजन एवं इंडियन नेशनल ट्रस्ट फ़ॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) के सदस्य दीपक रंजन दास के नेतृत्व में यह दल सबसे पहले ग्राम खेरधा पहुंचा. खेरधा के सरपंच रंजन कोशरिया के साथ एनएसएस के स्वयंसेवकों ने बैठक की. उन्हें अपने आने का उद्देश्य बताया और उपवन विकसित करने में सहयोग की अपील की. श्री कोशरिया ने बताया कि उनकी पंचायत में एक गोठान क्षेत्र विकसित किया जा रहा है. इसमें पंचायत की तरफ से भी 25 पौधे रोपे जा रहे हैं. यह एक बाड़े से घिरा क्षेत्र है जहां पौधों का सुरक्षा और सिंचाई का प्रबंध आसानी से हो सकता है. गोठान में गोबर खरीदी के साथ ही वर्मीकम्पोस्ट खाद का निर्माण भी किया जाता है.
एनएसएस दल ने इसके बाद गोठान स्थल का अवलोकन किया तथा पौधों की सुरक्षा एवं देखभाल की जानकारी ली.
इसके बाद दल ग्राम नारधा पहुंचा. नारधा के सरपंच विपिन शर्मा ने बताया कि गांव में वैसे तो बड़े स्थल का अभाव है पर यहां स्थित प्रसिद्ध रुख्खड़नाथ के मूल धाम परिसर में वृक्षारोपण किया जा सकता है जिसकी देखभाल एवं सुरक्षा का प्रबंध हो सकता है.
विद्यार्थियों ने रुक्खड़नाथ मंदिर परिसर का भ्रमण किया तथा वहां के लगे पेड़ों के बारे में जानकारी प्राप्त की. मंदिर परिसर में छायादार फलदार पेड़ों को लगाए जाने की इच्छा पंडित सुरेन्द्र गिरी ने व्यक्त की. वे बाबा रुख्खड़नाथ के तीसरे शिष्य की पांचवी पीढ़ी का प्रतिनिधत्व करते हैं.
स्वयंसेवकों ने बाबा रुक्खड़नाथ के दर्शन किये तथा वहां पंडित सुरेन्द्र गिरी से मंदिर का इतिहास भी जाना. यह मंदिर देश के दो बड़े रुक्खड़धामों में से प्रथम है. महाराष्ट्र का धाम इससे बड़ा है. बाबा रुक्खड़नाथ ने नारधा के इसी गांव में समाधि ली थी और फिर छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ और महाराष्ट्र के कुछ स्थानों पर प्रकट हुए थे. उन सभी स्थानों पर बाबा रुख्खड़नाथ के धाम हैं.