भिलाई। कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की आज जयंती है. उनकी कहानियों में गरीब परिवारों की सहजता, सरलता, विपरीत परिस्थितियों में जीने की जिजीविषा का मार्मिक चित्रण दिख जाता है. उनकी कहानियों में दर्शाएं गए मानव चरित्र आज भी प्रासंगिक हैं. आधुनिक हिन्दी साहित्य के वे प्रथम रचनाकार थे जिन्होंने हिन्दी कहानियों को फंतासी युग से बाहर लाने का काम किया. साहित्य के क्षेत्र में उनका योगदान किसी भी सूरत में गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर या शरतचंद चट्टोपाध्याय से कम नहीं था पर उन्हें कभी वह सम्मान नहीं मिल पाया, जिसके वो हकदार थे.
उक्त उद्गार चित्रगुप्त मंदिर समिति के संरक्षक नरेन्द्र श्रीवास्तव ने व्यक्त किये. वे प्रेमचंद जयंती की पूर्व संध्या पर मंदिर में आयोजित प्रेमचंद स्मृति समारोह को संबोधित कर रहे थे. मंदिर समिति के सांस्कृतिक सचिव मुकेश भटनागर, पूर्व अध्यक्ष विनोद प्रसाद एवं वरिष्ठ साहित्यकर्मी अनुराधा बख्शी ने भी संबोधित किया.
आरंभ में मुंशी प्रेमचंद के तैलचित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किया गया. कार्यक्रम का संचालन समिति की कोषाध्यक्ष पूजा सिन्हा ने किया. इस अवसर पर मुख्य सचिव सुभाष चंद्र श्रीवास्त्व, त्रिपुरारी सिन्हा, एसी सिपाहा, पूजा प्रभारी जीसी वर्मा, आलोक सिन्हा, स्वाति श्रीवास्तव, माया श्रीवास्तव, प्रशांत श्रीवास्तव, अजय श्रीवास्तव एवं अन्य उपस्थित थे.