• Sat. May 18th, 2024

Sunday Campus

Health & Education Together Build a Nation

हिंदी भाषा एवं साहित्य का उत्कर्ष भी निश्चित – डॉ विनय कुमार पाठक

Jul 1, 2023
Littérateurs felicitated in SSSSMV

भिलाई। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ विनय कुमार पाठक का मानना है कि समस्त भारतीय भाषाओं के साथ हिंदी भाषा एवं साहित्य का उत्कर्ष भी निश्चित है। उन्होंने यह बातें विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान, प्रयागराज तथा स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, भिलाई के संयुक्त तत्वावधान में भिलाई में आयोजित संस्थान के 27 वें वार्षिक अधिवेशन के समापन सत्र में कहीं.
डॉ पाठक मुख्य अतिथि के रूप में अपना उदबोधन दे रहे थे. विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्राचार्य डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख ने सत्र की अध्यक्षता की. मंच पर संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ ओम प्रकाश त्रिपाठी, सोनभद्र तथा सचिव डॉ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी, प्रयागराज की गरिमामयी उपस्थिति थी.
डॉ. पाठक ने आगे कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति यदि व्यवहार में आती है तो क्षेत्रीय एवं भारतीय भाषाओं को विकसित होने का सुअवसर निश्चित मिलेगा. हम अपने बच्चों को जर्मनी, रूसी, जापानी जैसी विदेशी भाषाएं सीखने के लिए विदेश भेजने के बदले यदि विदेश से विद्वानों को आमंत्रित किया जाता है, तो व्यय की कितनी बचत होगी. उर्दू हिंदी की ही एक शैली है. देश में गंगा जमुनी तहजीब के लिए भारतीय भाषाओं को प्रमुखता देने की नितांत आवश्यकता है. हिंदी में सारी संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी के पीछे भागने की जरूरत नहीं है.
विशिष्ट अतिथि न्यायमूर्ति चंद्रभूषण वाजपेयी, पूर्व न्यायधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कहा कि हमारी परंपरा वसुधैव कुटुंबकम को लेकर चलने वाली है. साहित्य वही है जो देश की प्रगति में योगदान दे. वर्तमान में आवश्यकता है कि निरूपयोगी साहित्य को अलग करके सत् साहित्य को स्थापित किया जाए. साहित्य के मूल तत्व कभी नहीं बदलते. वे शाश्वत होते हैं. देश की उन्नति के लिए मूल तत्व अक्षुण्ण होने चाहिए.
संस्थान के अध्यक्ष प्राचार्य डॉ शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे ने अध्यक्षीय समापन में कहा कि हिंदी ने भारत के बाहर अपने चरण रखे हैं. हिंदी अपने दम पर आगे बढ़ रही है. उसने अंतरराष्ट्रीय रूप धारण करके बड़ी सफलता प्राप्त कर विश्व मंच पर हिन्दी पहुंच चुकी है. अनेक राष्ट्रों के विभिन्न विश्वविद्यालयों में हिंदी के अध्ययन, अध्यापन व शोध की उपलब्धता है.
संस्थागत स्तर पर कार्य करने वाले महानुभावों को अतिथियों द्वारा इस अवसर पर सम्मान प्रदान करके उन्हें गौरवान्वित किया गया। इनमें स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला को “श्रीमती राजरानी देवी स्मृति सम्मान” से; डॉ. अर्जुन गुप्ता “गुंजन” को “श्री मुखराम माकड़ हिंदी सेवी सम्मान” से, डॉ. सुनीता सिंह “सुधा”को “श्री बुद्धिसेन शर्मा स्मृति सम्मान” से; श्रीमती मणिबेन द्विवेदी, को “श्री पवहारी शरण द्विवेदी स्मृति सम्मान” से; डॉ. ओम प्रकाश त्रिपाठी को “कैप्टन तुकाराम रोडकर स्मृति सम्मान” से ; डॉ. भरत त्र्यंबक शेणकर को “आयोजक श्री” से; पुष्पा श्रीवास्तव एवं डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक को “विहिसा श्री”‘से; प्रा. मधु भंभानी को “शब्द सुधाकर सम्मान” से तथा प्रा. रोहिणी डावरे, अकोले ,महाराष्ट्र को “संचालक श्री” सम्मान देकर गौरवान्वित किया गया.
इसके अतिरिक्त पवहारी शरण द्विवेदी स्मृति न्यास की ओर से डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख,पुणे, महाराष्ट्र को “अति विशिष्ट हिंदी सेवा सम्मान” से तथा छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के प्रांतीय अध्यक्ष श्री कान्हा कौशिक, रायपुर, छत्तीसगढ़ को “क्षेत्रीय भाषा प्रसारक सम्मान” से विभूषित किया गया. काव्य सम्राट प्रतियोगिता में कृष्णा मणिश्री पटना को प्रथम पुरस्कार दिया गया.
आयोजन प्रभारी डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर तथा स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, भिलाई की प्राचार्या डॉ. हंसा शुक्ला के नेतृत्व में अधिवेशन अत्यंत सफल रहा. मंच संचालन प्रा. रोहिणी डावरे तथा आभार ज्ञापन आयोजन प्रभारी डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, रायपुर ने किया. संगोष्ठी में उतरांचल, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, बिहार, राजस्थान, असम, महाराष्ट्र आदि राज्यों के प्राध्यापक एवम साहित्यकारों ने सहभागिता दी. संस्थान के सचिव डॉ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी, प्रयागराज, उत्तरप्रदेश के संयोजन में संस्थान के सभी आजीवन सदस्यों की बैठक संपन हुई. राष्ट्रगान के साथ अधिवेशन का समापन हुआ. संगोष्ठी में छत्तीसगढ़ आस पास के संपादक प्रदीप भट्टाचार्य विशेष रूप से उपस्थित थे.

Leave a Reply