भिलाई। ड्रग टेस्टिंग लैबोरेटरी एवं अनुसंधान केन्द्र रायपुर के वैज्ञानिक अधिकारी अरुण कुमार सिंह परिहार ने आज कहा कि यह एक ऐसी शिक्षा है जिसे प्राप्त करने के बाद करियर की कई दिशाएं खुल जाती हैं. इस डिग्री के बाद आप अस्पताल या दवा दुकान में नौकरी कर सकते हैं, अनुसंधान के क्षेत्र में जा सकते हैं, दवा उत्पादन के क्षेत्र में जा सकते हैं. सबसे बड़ी बात यह कि एक फार्मासिस्ट कभी रिटायर नहीं होता.
श्री परिहार विश्व फार्मेसी दिवस के अवसर पर एमजे कालेज ऑफ फार्मेसी के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे. मुख्य अतिथि की आसंदी से विद्यार्थियों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि एलोपैथी में डाक्टरों के बाद फार्मेसिस्ट की भूमिका होती है. दोनों का चिकित्सा सेवा प्रदायगी में बराबर की भागीदारी होती है, इसलिए स्वयं पर गर्व करें. खूब मन लगाकर पढ़ें और ज्यादा से ज्यादा सीखने की कोशिश करें. उन्होंने अपने करियर से जुड़ी बातें भी साझा कीं. एक वैज्ञानिक के रूप में यदि आप किसी नई दवा का पेटेंट हासिल कर लेते हैं तो आपको लाखों करोड़ों रुपए मिल सकते हैं.
विशिष्ट अतिथि एमजे समूह की डायरेक्टर डॉ श्रीलेखा विरुलकर ने कहा कि प्रयासों में निरंतरता रहेगी और ज्ञान अर्जन के प्रति लगाव होगा तो सफलता निश्चित होगी. उन्होंने विश्व प्रसिद्ध होण्डा मोटर्स की संघर्ष गाथा को विद्यार्थी के साथ साझा करते हुए बताया कि एक विश्वयुद्ध और एक भीषण प्राकृतिक आपदा के बावजूद होण्डा के संस्थापकों ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने बहुत छोटे स्तर से अपनी शुरुआत की और आज विश्व की चोटी की कार और बाइक निर्माताओं में से एक है. उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि पढ़ाई को गंभीरता से लें और अपने लिए एक लक्ष्य निर्धारित कर लें. लगातार प्रयास करें सफलता अवश्य मिलेगी.
एमजे कालेज के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने चिकित्सा सेवा प्रदायगी में फार्मेसिस्ट की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि कोरोना काल में दुनिया का ध्यान भारतीय फार्मेसी उद्योग की तरफ गया. हममें असीम संभावनाएं हैं. विद्यार्थी यदि सही दिशा में मेहनत करते हैं तो अनुसंधान के क्षेत्र में जाकर भी नाम और पैसा दोनों कमा सकते हैं.
आरंभ में एमजे कालेज ऑफ फार्मेसी के प्राचार्य डॉ राहुल सिंह ने फार्मेसी दिवस की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए कहा कि कोरोना काल में हमने अपनी क्षमताओं का बेहतरीन प्रदर्शन किया. भारतीय फार्मेसी उद्योग ही सबसे पहले कोविड का टीका खोजने में सफल हुई और उसका युद्ध स्तर पर निर्माण कर भारत के साथ ही अन्य कई देशों की मदद की.
कार्यक्रम का संचालन ऋषि और उर्वशी ने किया. प्रमिला मैम, गायत्री साहू, पंकज साहू, वीरेन्द्र सर, योगिता साहू, प्रीति सिंह, आकांक्षा सिंह, नाजनीन अंसारी, कंचन मरकाम, प्रतीक्षा मैम, द्रोण कुमार साहू सहित फार्मेसी कालेज का पूरा स्टाफ एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे.