भिलाई। विश्व हृदय दिवस के उपलक्ष्य में आज एमजे कालेज में कार्डियो पल्मोनरी रेससिटेशन (सीपीआर) देने की कार्यशाला का आयोजन किया गया. सुरप्रीत चोपड़ा हार्ट फाउंडेशन की संस्थापक डॉ सुरप्रीत चोपड़ा ने विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को जीवन बचाने की यह तकनीक विस्तार से सिखाई. यह आयोजन महाविद्यालय की जूनियर रेडक्रास इकाई एवं राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा लायन्स क्लब पिनाकल के सहयोग से किया गया था.
डॉ सुरप्रीत चोपड़ा ने बताया कि खान पान में बदलाव तथा आरामतलब जिन्दगी के कारण दुनिया भर में हृदय रोगियों की संख्या बढ़ रही है. भारत में स्थिति अत्यंत गंभीर है जहां हर तीसरा व्यक्ति हृदय रोग की जद में है. 18 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ रहा है. 30 वर्ष की उम्र में लोग जीवन की गुणवत्ता गंवा रहे हैं. इनमें से अनेक रोगियों की मौत केवल इसलिए हो जाती है क्योंकि उन्हें समय पर मदद नहीं मिलती.
डॉ सुरप्रीत ने बताया कि दिल ने धड़कना छोड़ दिया तो 3 मिनट के भीतर मस्तिष्क मरने लगता है. कार्डियक अरेस्ट से अचेत व्यक्ति को यदि तत्काल सीपीआर देना शुरू कर दिया जाए तो न केवल उसका जीवन बचाया जा सकता है बल्कि उसके मस्तिष्क को भी सुरक्षित रखा जा सकता है. डॉ एबीसी (डीआरएबीसी) का फार्मूला देते हुए उन्होंने कहा कि जब भी कोई अचेत व्यक्ति दिखाई देता है सबसे पहले आसपास के खतरे को जानने की कोशिश करें. रोगी को थपथपाएं और जगाने की कोशिश करें. अगर कोई प्रतिक्रिया नहीं होती तो एम्बुलेंस को कॉल करें या किसी को करने के लिए कहें.
इसके बाद रोगी के सिरहाने पर बैठकर उसके माथे पर बाईं हथेली को रखें और उसे नीचे की और दबाएं. इसके साथ ही दाईं हथेली से उसकी ठोढ़ी को ऊपर उठाएं. इससे इसकी श्वांसनली खुल जाएगी और वह सांस ले पाएगा. अपने चेहरे को उसके चेहरे के पास ले जाकर उसकी सांसों को महसूस करने की कोशिश करें. सांसें रुकी हों और नब्ज भी न मिले तो उसकी छाती के पास बैठें. छाती को तीन हिस्से में बांटते हुए सबसे निचले हिस्से के बीचों बीच अपनी दाहिनी हथेली के कलाई के करीब वाले हिस्से को टिकाएं. दूसरे हाथ के पंजे से उसे सपोर्ट दें. दोनों कुहनियों को सीधा कर लें और पूरी ताकत और तेजी से उसे नीचे की ओर दबाना और छोड़ना शुरू करें. 30 बार ऐसा करने के बाद उसकी नाक को दबाएं और मुंह में पूरी ताकत से दो बार सांस फूंकें. यह चक्र तब तक जारी रखें जब तक चिकित्सकीय सहायता नहीं मिल जाती. इसी क्रिया को सीपीआर कहते हैं. इसे मिनट में 90 बार तक देने की कोशिश करनी चाहिए.
उन्होंने बताया कि अचेत व्यक्ति की यदि सांसें चालू हों तो प्रक्रिया बदल जाती है. ऐसे व्यक्ति की जीभ पलट कर गले का रास्ता बंद कर सकती है. लार निकलने पर वह भी श्वांस नली को अवरुद्ध कर सकती है. ऐसे व्यक्ति को पहले करवट कराना होता है. उन्होंने विस्तार से इसकी प्रक्रिया को भी समझाया. उन्होंने विद्यार्थियों के साथ ही शिक्षकों की जिज्ञासाओं का भी पूरे धैर्य एवं विस्तार के साथ समाधान किया.
एमजे समूह की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर ने उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि वे अपनी दिनचर्या में सक्रियता को शामिल करें. घड़ी देखकर 10 हजार कदम नहीं बल्कि 20 हजार कदम प्रतिदिन चलने फिरने का प्रयास करें. शारीरिक सक्रियता से हम हृदय रोगों की संभावना को काफी हद तक कम कर सकते हैं. उन्होंने डॉ सुरप्रीत के प्रति आभार भी व्यक्त किया जिन्होंने इस कार्यक्रम के लिए सहज स्वीकृति दी और आज लोगों को स्वस्थ जीवन जीने और दूसरों की जान बचाने का प्रशिक्षण देने जा रही हैं.
आरंभ में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने बताया कि यह एक बेहद उपयोगी कार्यशाला है जिसे सभी को गंभीरता से लेना चाहिए. हृदयाघात की पहचान कर सही समय पर सीपीआर देकर हम लोगों का जीवन बचा सकते हैं. यदि इस कार्यशाला में उपस्थित एक भी व्यक्ति इस प्रशिक्षण का लाभ लेकर एक भी जीवन बचाने में सफल होता है तो यही इस कार्यशाला की सफलता होगी.
कार्यशाला को लायन्स क्लब पिनाकल की अध्यक्ष लायन अंजू अग्रवाल ने भी संबोधित किया. सचिव लायन शालिनी सोनी, कोषाध्यक्ष लायन रश्मि गेडाम एवं लायन शोभा जाम्बुलकर भी इस मौके पर उपस्थित थीं.
कार्यक्रम का संचालन शिक्षा संकाय की सहायक प्राध्यापक आराधना तिवारी ने किया. धन्यवाद ज्ञापन वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय की सहायक प्राध्यापक स्नेहा चन्द्राकर ने किया.