भिलाई। एमजे ग्रुप ऑफ एजुकेशन के निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर ने आज कहा कि विवाह, मातृत्व और स्तनपान एक कमिटमेंट है, इसे निभाने की जिम्मेदारी हम सबकी है. फैशन और फिटनेस के नाम पर मातृत्व को टालने और स्तनपान से शिशु को वंचित करने वाली माताएं शायद यह नहीं जानतीं कि उनके स्वयं स्वस्थ होने और स्वस्थ बने रहने में भी स्तनपान का बड़ा योगदान होता है.
डॉ विरुलकर महाविद्यालय में आयोजित स्तनपान जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं. उन्होंने विश्वविद्यालय को इस आयोजन के लिए महाविद्यालयों को प्रेरित करने के लिए बधाई दी. उन्होंने कहा कि यह विषय केवल होमसाइंस और नर्सिंग का नहीं बल्कि सभी महाविद्यालयीन विद्यार्थियों से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि एक उम्र के बाद मातृत्व ही महिलाओं की असली खूबसूरती बन जाता है. स्तनपान से शिशु और मां के बीच एक ऐसा संबंध बनता है जिसकी किसी भी संबंध से तुलना नहीं की जा सकती.
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने विश्वविद्यालय की पहल का स्वागत करते हुए कहा कि इस आयोजन के माध्यम से विद्यार्थी स्तनपान के सभी पहलुओं से वाकिफ हो सकेंगे. इसका लाभ उनके सम्पर्क में आने वालों तक भी पहुंचेगा. यह विषय विशेषकर बीएड प्रशिक्षणार्थियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है जो इसे आने वाली कई पीढ़ियों तक पहुंचा पाएंगे.
आयोजन की विशेष वक्ता एमजे कालेज ऑफ नर्सिंग की प्रोफेसर मोनिका साहू ने स्तनपान से जुड़ी बारीकियां विद्यार्थियों के साथ साझा की. उन्होंने कहा कि शिशु को प्रथम छह माह केवल मां का ही दूध दिया जाना चाहिए तथा इसके बाद धीरे-धीरे सप्लीमेंटरी आहार की तरफ बढ़ना चाहिए. उन्होंने स्तनपान कराने के सही तरीकों के बारे में भी पीपीटी के जरिए विस्तार से जानकारी दी. साथ ही विद्यार्थियों के सवालों का भी जवाब दिया.
इस दौरान विद्यार्थियों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया. पोस्टर प्रतियोगिता में विशाल सोनी बीएड तृतीय सेमेस्टर, श्रद्धा यादव बीएससी बायोटेक तथा कहकशां बीएड तृतीय सेमेस्टर को क्रमशः प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया. रंगोली प्रतियोगिता में बीएड तृतीय सेमेस्टर की मनीषा वर्मा एवं तुषारिणी, बीएससी बायोटेक प्रथम वर्ष की श्रद्धा यादव तथा बीएससी बायोटेक तृतीय वर्ष की लखविन्दर कौर को क्रमशः प्रथम, द्वितीय, तृतीय एवं सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया.
इस अवसर पर स्तनपान को लेकर लोगों में व्याप्त भ्रांतियों, सार्वजनिक स्थानों में स्तनपान कराने की समस्याओं, कामकाजी महिलाओं की परेशानियों पर एक नाटक खेला गया. इसमें सूफिया अंजुम, माही अग्रवाल, सरबजीत कौर, तमन्ना यादव, श्रद्धा यादव, टाकेश्वरी वर्मा, दृष्टि अग्निहोत्री, कल्पना सप्रे और योगिता सोनवानी, येनिका साहू ने विभिन्न किरदारों को प्रस्तुत किया. नाटक का लेखन एवं निर्देशन संचार कौशल के शिक्षक दीपक रंजन दास ने किया था.
महाविद्यालय की आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आईक्यूएसी) एवं राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी शकुंतला जलकारे, सांस्कृतिक प्रकोष्ठ की प्रमुख ममता एस राहुल, स्नेहा चन्द्राकर, सहित महाविद्यालय के सभी व्याख्याताओं एवं सहायक प्राध्यापकों ने सहयोग किया. संचालन बायोटेक की विभागाध्यक्ष सलोनी बासु ने किया. धन्यवाद ज्ञापन उप प्राचार्य एवं शिक्षा संकाय की अध्यक्ष डॉ श्वेता भाटिया ने किया.