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शंकराचार्य महाविद्यालय में “हमर संस्कृतिक-हमर चिन्हारी” पर कोर्स

Oct 8, 2023
10 Day certificate course in SSMV Bhilai

भिलाई। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय के कला संकाय द्वारा “हमर संस्कृति हमर चिन्हारी” पर दस दिवसीय सर्टिफिकेट कोर्स का आयोजन 7 से 16 अक्टूबर तक किया जा रहा है। इस कार्यक्रम की उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में श्रीमती अनीता तिवारी समाज सेवी, डॉ अर्चना झा प्राचार्य श्री शंकराचार्य महाविद्यालय, डॉ जे दुर्गा प्रसाद राव डीन अकादमी शंकराचार्य महाविद्यालय भिलाई उपस्थित थे।
कला संकाय की विभाग अध्यक्ष डॉ जयश्री वाकणकर ने स्वागत भाषण दिया साथ ही कार्यशाला में सिखाए जाने वाले विधाओं का विस्तृत वर्णन किया. कार्यशाला में छत्तीसगढ़ की संस्कृति सुहाग नृत्य जस गीत मिट्टी के गहने, ददरिया, मिट्टी के घडों को प्रारंभिक तरीके से सजना छत्तीसगढ़ संगीत विभिन्न वेशभूषण आभूषण पहनावा महाकाल गोवर्धन पर्वत और गौरी गौरा का श्रृंगार करने का प्रशिक्षण इन 10 दिवसों में किया जाएगा।
कार्यक्रम के अंतिम दिन गीत औरंगाबाद नृत्य की प्रस्तुति और प्रशिक्षण के दौरान बनाए गए विभिन्न वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। इस कार्यशाला के प्रशिक्षक के रूप में श्री उत्कर्ष श्रीवास्तव उप-संपादक संगवारी छ. ग. एवं उत्सव श्रीवास्तव संपादक संगवारी छ. ग. द्वारा दिया जाएगा।
मुख्य अतिथि ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारे छत्तीसगढ़ संस्कृति और बोली सबसे मीठी है। हमारे गहनों का नवीनीकरण करके लोग अपनाने लगे हैं। छत्तीसगढ़ की संस्कृति भी को आगे बढ़ाने के लिए अनेक योजनाएं बनाई है सि मार्टऔर बासी दिवस जैसे कार्यक्रम का आरंभ किया है।
प्राचार्य डॉ अर्चना झा ने इस कार्यक्रम की विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस कार्यशाला में विद्यार्थी छत्तीसगढ़ के उन पहलुओं को भी जान पाएंगे जो सामान्य रूप से भी उजागर नहीं है। डॉ जे दुर्गा प्रसाद राव डिन अकादमी ने अपने उद्बोधन में कहा कि जो विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं उनके लिए तो उपयोगी है ही साथ ही उन विद्यार्थी के लिए भी उपयोगी है जो राज्यों से आकर यहां अपनी शिक्षा ले रहे हैं कार्यक्रम का संचालन छत्तीसगढी भाषा में सहायक प्राध्यापक डॉ महेंद्र शर्मा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम की संयोजक डॉ लक्ष्मी वर्मा ने किया। इस कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के प्राध्यापक और विद्यार्थीयों ने अपनी भागीदारी दी।

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