भिलाई। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय जुनवानी भिलाई के कला संकाय द्वारा दस दिवसीय सर्टिफिकेट कोर्स “हमर संस्कृति हमर चिन्हारी” आयोजन के चतुर्थ दिवस को छत्तिसगढ़ी पारम्परिक वेशभूषा से विद्यार्थियों का परिचय कराया गया। आज के अतिथि के रूप में डॉ. अविनाशचंद्र श्रीवास्तव (जिला समन्वयक शिक्षा विभाग), डॉ. संगीता चंद्राकर (कलाकार एवं छ.ग. गायिका), तथा मनीष कुमार कोठारी (मेहंदी एवं रंगोली प्रशिक्षक) थे।
डॉ अविनाश श्रीवास्तव ने बताया कि शिक्षा के साथ-साथ अनुभव भी आवश्यक होता है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व को निखारता है। हमारे छत्तीसगढ़ की संस्कृति एवं वेशभूषा बहुत सुंदर है तथा आज के विद्यार्थियों को इससे अवगत कराना अति आवश्यक है। डॉ. संगीता चंद्राकर ने कहा कि हम सबकी यही जिम्मेदारी बनती है कि हम अपने छत्तीसगढ़ की मूल संस्कृति एवं उसकी पहचान को बनाए रखें, क्योंकि धीरे-धीरे छत्तीसगढ़ की वेशभूषा एवं संस्कृति विलुप्त होते जा रही हैं। श्री मनीष कोठारी जी ने कहा कि सभी व्यक्तियों में कोई न कोई हुनर अवश्य होता है, जरूरत है उसे निखार कर अपनी पहचान बनाना, क्योंकि आज के समय में नौकरी प्राप्त करना बहुत कठिन हो गया है अतः अपने हुनर को ही अपना रोजगार बनाएं एवं दूसरों को भी रोजगार प्रदान करें।
अंत में डॉ अविनाश श्रीवास्तव जी ने चैक पूजा के बारे में बताया कि कब और किस प्रकार की चैक पूजा की जाती है उसमें किन वस्तुओं का प्रयोग होता है तथा उसका क्या महत्व है।
उक्त कार्यक्रम मे महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अर्चना झा, डीन अकादमिक डॉ. जे दुर्गा प्रसाद राव, डॉ आशीष नाथ सिंह, डॉ लक्ष्मी वर्मा, उज्ज्वला भोंसले, मीता चुग, ज्योति मिश्रा, श्री राजकिशोर पटेल एवं डॉ महेंद्र शर्मा ने अपनी सहभागिता दी।