अंडा, दुर्ग। शैलदेवी महाविद्यालय के योग एवं दर्शन विभाग द्वारा 2 अक्टूबर को क्रिया योग पर अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया. मुख्य अतिथि एवं वक्ता के रूप में स्वामी परिपूर्णा नंद गिरि (प्रज्ञान मिशन, बलाघई, उड़ीसा), स्वामी धरा नंद गिरि, स्वामी सेवानंद (दोनों दुर्ग आश्रम) एवं विशिष्ट अतिथि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. के. एन. मिश्रा जी तथा सभी विभागों के सहायक प्राध्यापक एवं विधार्थी उपस्थित थे. मंच संचालन योग एवं दर्शन विभाग के सहायक प्राध्यापक हिमांशु केशरवानी ने किया.
स्वामी परिपूर्णानंद गिरि ने क्रिया योग विषय में विस्तृत व्याख्यान दिया. उन्होंने बताया कि यह एक सरल मनोकायिक व्यवस्था है, जिसके द्वारा मानव रक्त कार्बन से रहित तथा प्राण वायु से प्रपूरित हो जाता है. उन्होंने श्री मदभगवद्गीता के अट्ठारह अध्यायों के नाम बताते हुए उसमे वर्णित योग की परिभाषा (समत्वं योग उच्यते, योगः कर्मसू कोशलम) का वर्णन बड़े ही सरल रूप में किया. उन्होंने महर्षि पतंजलि द्वारा वर्णित पतंजलि योग सूत्र में योग के उद्देश्यों को लेकर बताया कि योग का अर्थ न सिर्फ आसनों का अभ्यास होता है, बल्कि मोक्ष प्राप्ति होता है.
प्राचार्य श्री मिश्रा ने अतिथियों का स्मृति चिन्ह व श्रीमद्भगवद्गीता प्रदान कर सम्मान किया. उन्होंने आभार व्यक्त करते हुए सभी अतिथियों, प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष रूप से कार्यक्रम को सफल बनाने में सहायता करने वाले सभी कर्मचारियों व विद्यार्थियों का धन्यवाद किया. अंतिम में राष्ट्रगान के साथ समापन किया गया.