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एमएससी के विद्यार्थियों ने कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में किया अन्वेषण कार्य

Jan 11, 2024
Research activity in Kanger Ghati National Park

दुर्ग. शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा एमएससी प्रथम सेमेस्टर और तृतीय सेमेस्टर एव ंबी.एससी तृतीय वर्ष के छात्र-छात्राओं, बॉटनिकल सोसाइटी के सदस्यों के साथ, 4 से 7 जनवरी तक बस्तर में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान का वनस्पति भ्रमण एवं सर्वेक्षण किया गया. इस अंचल में स्थित विभिन्न विलुप्त प्रजाति के वृक्षों एवं औषधीय पौधों का गहन अध्ययन किया गया.
भ्रमण की शुरूआत महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. एम.ए. सिद्दीकी के द्वारा हरी झंडी दिखाकर किया गया. साथ ही उन्होंने छात्रों को वनस्पति संरक्षण के महत्व को समझाया. इसी कड़ी में विभाग की विभागाध्यक्ष डाॅ. रंजना श्रीवास्तव ने छात्र-छात्राओं को पादप हरबेरियम बनाने एवं उनको संरक्षित करने हेतु मार्गदर्षन प्रदान किया गया. विभाग के सहायक प्राध्यापक डाॅ. जी.एस. ठाकुर के द्वारा पादपों को एकत्रित कर लक्षणों का अध्ययन करके डाटा संग्रहण के बारे में जानकारी प्रदान किये. इस भ्रमण में वनस्पति विज्ञान विभाग 40 छात्र-छात्राओं एवं 5 प्राध्यापकगण शामिल थे. कांगेर घाटी में सभी छात्र-छात्राओं ने 5 अलग-अलग समूह में अलग-अलग दिषाओं में जाकर छोटे पौधे, झाड़ीदार पौधे एवं वृक्षों का अध्ययन किया साथ ही उनका औषधीय महत्व के बारे में जानकारी हासिल की. नेषनल पार्क के सदस्यों द्वारा छात्र-छात्राओं के समूहों को धुरवा डेरा का भी भ्रमण कराया गया. धुरवा डेरा के आसपास भी अनेक विलुप्त हो रही प्रजातियों का अध्ययन किया गया साथ ही छात्र-छात्राओं के समूह द्वारा तीरथगढ़ जल प्रपात के आसपास भी सभी वनस्पतियों का सर्वेक्षण एवं अध्ययन किया गया.
नेषनल पार्क के समीप स्थित कैलाष गुफा में पाए जाने वाली विभिन्न प्रकार की वनस्पतिक प्रजातियों का भी अध्ययन किया गया, जिसमें विषेषकर फर्न के पौधे, सफेद मूसली, काली मूसली एवं चैतम नामक पौधे का अध्ययन किया गया. दुर्वा डेरा, जो इस क्षेत्र का एक अनोखा पौधा है, जो पार्क की वनस्पति समृद्धि को बढ़ाता है. अन्वेषण ने पारिस्थितिकी तंत्र और इन पौधों की प्रजातियों के संरक्षण में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान की साथ ही पौधों के जीवन और कांगेर नदी पारिस्थितिकी तंत्र के बीच सहजीवी संबंध पर भी विषेष अध्ययन किया गया. समूह द्वारा चित्रकोट जलप्रपात का भी भ्रमण किया गया. वानस्पतिक दौरे ने एम.एससी. एव ंबी.एससी अध्ययनरत् छात्र-छात्राओं के बीच एक वनस्पतिक अध्ययन सीखने के माहौल को बढ़ावा दिया गया. छात्र और बॉटनिकल सोसायटी के सदस्य, फील्डवर्क और चर्चाओं के माध्यम से ज्ञान को सुविधाजनक बनाया, जिससे क्षेत्र की वनस्पतियों की समग्र समझ में योगदान मिला. महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. सतीश कुमार सेन के मार्गदर्शन ने आलोचनात्मक सोच और अनुसंधान-उन्मुख अन्वेषण को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वनस्पति यात्रा का प्राथमिक उद्देश्य कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान की समृद्ध जैव विविधता का अध्ययन करना था. बोटैनिकल सोसाइटी के छात्रों और सदस्यों ने विभिन्न पौधों की प्रजातियों का सावधानीपूर्वक दस्तावेजीकरण और विश्लेषण करते हुए सावधानीपूर्वक अध्ययन किया, जिससे जैव विविधता की हानि न हो. छत्तीसगढ़ के बस्तर में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान की वनस्पति यात्रा प्रतिभागियों के लिए एक समृद्ध अनुभव साबित हुई. विविध पौधों की प्रजातियों के अध्ययन से लेकर झरनों और प्राचीन गुफाओं की खोज तक, यात्रा ने क्षेत्र की वनस्पति और पारिस्थितिक विविधता की व्यापक समझ प्रदान की. प्रोफेसर सतीश कुमार सेन के मार्गदर्शन में, छात्रों और बॉटनिकल सोसाइटी के सदस्यों ने न केवल अपने ज्ञान का विस्तार किया, बल्कि पौधों और उनके पर्यावरण के बीच जटिल अंतरसंबंध के लिए गहरी सराहना भी पैदा की. भूतपूर्व प्रोफेसर एम. एल. नायक, डॉ. धर्मशील गणवीर (डीएफओ), मैडम सुमन (सोशल मीडिया प्रभारी) कांगेर राष्ट्रीय उद्यान की भूमिका बेहद उत्साहजनक रही. यह भ्रमण अत्यधिक सफल रहा क्योंकि इसमें बी.एससी. तृतीय वर्ष के कुछ छात्रों सहित वनस्पति विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर श्री मोतीराम साहू, सुश्री आशा, श्री दानेश और अनुसंधान विद्वान ज्योति दमोहे एवं प्रयोगषाला सहायक मोहित कुमार की अत्यधिक सराहनीय भूमिका रही.

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