दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कार स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर व्याख्यान माला का आयोजन किया गया. छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध कवि एवं संस्कृतिकर्मी जीवन यदु ‘खैरागढ़’ तथा पीसी लाल यादव ‘गंडई’ मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित थे. स्वागत वक्तव्य देते हुए हिंदी के विभागाध्यक्ष डॉ. अभिनेष सुराना ने कहा कि हमें हिंदी भाषा साहित्य के साथ हिंदी के लोक साहित्य की ओर ध्यान देना आवश्यक है क्योंकि शिष्ट साहित्य की सर्जना का स्रोत लोक साहित्य होता है.
अध्यक्ष की आसंदी से अपनी बात रखते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य एम.ए. सिद्दीकी ने विश्व हिंदी दिवस की शुभकामना देते हुए कहा कि भाषा और गणित का ज्ञान शिक्षा का मूल आधार है स भाषा और गणित का ज्ञान ही शिक्षित होने का प्रमाण है।
अतिथि वक्त जीवन यदु ने ‘छत्तीसगढ़ी का आधुनिक साहित्य’ विषय पर वक्तव्य देते हुए इस बात पर जोर दिया की कविता की आत्मा लय है। लय में ही कविता का जीवन है। आज के बदलते समय में परिवर्तन के अनुकूल नए भाव, बिम्ब और विषयवस्तु का समावेश कविता में होना चाहिए। जीवन यदु ने छत्तीसगढ़ी साहित्य के समग्र परिदृश्य पर विस्तार से चर्चा की।
अतिथि वक्ता पीसीलाल यादव ने छत्तीसगढ़ी की विविध लोक गाथाओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि जब हम लोक की बात करते हैं तब हम भी उसकी एक इकाई होते हैं। लोक-संस्कृति कहीं ना कहीं लोक में ही सुरक्षित है। वही लोक संस्कृति का भाव है।
व्याख्यान कार्यक्रम के पश्चात काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया खैरागढ़ से पधारे कवि संकल्प पहटिया ने अपनी कविता का पाठ किया तत्पश्चात कवि पीसी लाल यादव ने छत्तीसगढ़ी कविता के सस्वर पाठ से उपस्थित श्रोताओं को झूमने और साथ-साथ कोरस में गीत गाने के लिए विवश कर दिया।
कवि जीवन यदु ने अपनी प्रसिद्ध रचना ‘जब तक रोटी के प्रश्नों पर रखा रहेगा भारी पत्थर’ गीत का पाठ कर श्रोताओं को यथार्थ जीवन से परिचित कराते हुए संघर्ष पर बल दिया।
उक्त संपन्न कार्यक्रम में हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ. बलजीत कौर, डॉ. रजनीश उमरे, डॉ. सरिता मिश्रा, डॉ. ओम कुमारी देवांगन, डॉ. शारदा सिंह, डॉ.लता गोस्वामी के साथ बड़ी संख्या में विद्यार्थी तथा शोधार्थी उपस्थित थे स कार्यक्रम का संचालन डॉ.कृष्ण चटर्जी ने तथा आभार प्रदर्शन श्रीमती महतो ने किया।