भिलाई। स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशा निर्देशों के अनुसार आतंकवाद विरोधी दिवस के अवसर पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। शिक्षकों व विद्याथिर्यों को आतंकवाद और हिंसा का डटकर सामना करने व मानव मूल्यों को खतरा पहुंचाने वाली और समस्त प्रकार की विघटनकारी शक्तियों से लड़ने की शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम के प्रारंभ में आईक्यूएसी प्रभारी डॉ. रजनी मुद्लियार ने कहा आतंकवाद व धर्म के नाम पर हिंसा आज की मूल समस्या है इसका समाधान जागरूकता से ही संभव है। प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा अपने विचारों को श्रेष्ठ समझकर दूसरों पर उसे बलपूर्वक थोपना, उसे नुकसान पहुंचाना, राष्ट्रीय सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाना, अपनी बात मनवाने के लिए जनसंहार करना, सभी आतंकवाद की श्रेणी में आते हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता।
शिक्षा विभाग की डॉ. वी. सुजाता ने कहा की अगर हम गलत करके महसूस नहीं करते हैं कि गलती हुई है हमारे अंदर अपराध भावना नहीं है इससे धीरे-धीरे नैतिक मूल्यों का ह्रास होता जाता है तब आतंकवाद का जन्म होता है। यश शर्मा, बीबीए द्वितीय सेमेस्टर ने आतंकवाद का मुख्य कारण असंतुष्टि को बताया जब अधिकार नहीं मिलते तो छीन लेने की भावना पनपती है। उन्होंने कहा कि कम उम्र से यह सिखाया जाता है कि विशेष प्रचार के लिये हिंसा का मार्ग भी अपनाया जाये तो वह गलत नहीं है।
सरोज यादव, एमएड ने कहा जब व्यक्ति के पास कार्य नहीं होता है उन्हें पैसा देकर भी आतंकवादी बनाया जाता है। अगर रिसोर्स को विकसित कर कई लोगों को काम दें, मूल्यपरक शिक्षा को बढ़ावा दें तो आतंकवाद रूक सकता है। जया तिवारी स.प्रा. शिक्षा विभाग ने कहा लोगों में अलगाववाद की भावना पनपती जा रही है उसे जड़ से समाप्त करना आवश्यक है।
डॉ. सुनीता वर्मा, विभागाध्यक्ष हिन्दी ने कहा आतंक स्थापित कर डराकर अपने सिद्धांतों को पालन करवाना ही आतंकवाद है, यह धार्मिक असहिष्णुता के कारण ज्यादा पनपती है।
रितिका साव, एमएड ने आतंकवाद को रोकने के लिये शिक्षा व्यवस्था में सुधार की बात कही। इस परिचर्चा में स.प्रा. रजनी मुद्लियार, उषा साहू, सुनीता शर्मा शामिल थे।
विद्याथिर्यों में उजमी कौसर, आयुषि मिश्रा, हर्षा साहू, आशी सोनी, शिवम शर्मा ने परिचर्चा में अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का संचालन करते हुये श्रीमती शैलजा पवार शिक्षा विभाग ने कहा आतंकवाद संपूर्ण विश्व के लिये खतरा है। धन्यवाद ज्ञापन स.प्रा. शैलजा पवार ने किया।