अंबिकापुर. कभी वीरान रही मड़वा पहाड़ी पर अब हजारों की संख्या में वृक्ष नजर आते हैं. इन सभी वृक्षों के नाम स्कूली विद्यार्थियों के नाम पर रखे गए हैं. सौरभ कुमार, वीरेन्द्र प्रताप, अमित कुमार, सुमित, मठारू, रश्मि कुमारी, रजनी, अवनी, स्नेहा, दुलारी – सब के सब मानो यहीं खड़े हैं वृक्षों को अपने सीने से लगाए. उन्हें पता है कि धरती पर इंसान भी तभी तक है जब तक पर्याप्त मात्रा में हरियाली है. अब सरकार यहां चाय और काजू की खेती करवाने जा रही है.
दरअसल, यह परिणाम एक अभिनव योजना का. अंबिकापुर के अमित सिंह, मनोज सोनी, कंचन लता समेत कुछ युवाओं ने शिक्षा कुटीर नामक संस्था बनाई. संस्था ने 2015 में मैनपाट के पास बरगई में एक प्राइमरी स्कूल शुरू किया. इस स्कूल में फीस के बदले में प्रति विद्यार्थी दो पौधे लिये जाते हैं. शिक्षा कुटीर में बच्चों के परिजनों से शपथ पत्र लिया जाता है कि अपने बच्चों की तरह इन पौधों की देखरेख करेंगे. बच्चों को यहां शिक्षा-दीक्षा के साथ पर्यावरण संरक्षण के बारे में बताया जाता है. पेड़-पौधों की जानकारी दी जाती है. स्कूल शिक्षक और कर्मचारियों का वेतन आपसी सहयोग से दिया जाता है. स्कूल में बच्चों को फ्री में किताब, कॉपी, ड्रेस व जूता भी दिया जाता है.
स्कूल के प्रयास और बच्चों के सहयोग से पिछले 8 साल में मड़वा पहाड़ में 58 हजार से ज्यादा पौधे लगाए गए हैं, जो अब घने वृक्षों में तब्दील हो गए हैं. हर साल दूसरे स्कूल के छात्र-छात्राएं, एनसीसी, एनएसएस, स्काउट एंड गाइड के बच्चे भी यहां आते हैं और अपने नाम से पौधा लगाते हैं. बंजर हो चुकी 250 हेक्टेयर में फैली मड़वारानी को हराभरा करने के लिए दूसरे स्कूलों को भी जोड़ा गया. पहाड़ के 50 हेक्टेयर जगह में 58 हजार पौधे लगाए गए हैं. इनकी देखरेख के लिए कर्मचारी भी रखे गए हैं.
शिक्षा कुटीर में किचन गार्डन विकसित किया जा रहा है. इसकी देखरेख भी बच्चे ही करेंगे. इससे जो सब्जियां पैदा होंगी, उससे मध्यान्ह भोजन बनाया जाएगा. यह पूरी तरह जैविक होगा.