अलीगढ़। एक मदरसे में बच्चों पर इस कदर अत्याचार किया गया कि मासूम बच्चे मदरसे से भाग खड़े हुए। बच्चों का कहना है कि उन पर एक साल से जुल्म हो रहा था। विरोध करने पर उन्हें बेडिय़ों से बांधकर रखा जाता था। यातनाएं जब बर्दाश्त नहीं कर पाए तो बुधवार तड़के वहां से भाग आए और ग्रामीणों की मदद से थाने तक पहुंचे। परिवार द्वारा कोई शिकायत न दिए जाने का तर्क देकर लोधा पुलिस ने मामले से पल्ला झाड़ लिया और फिर से बच्चों को बिना किसी कार्रवाई के मदरसे ही भेज दिया। पंचर जोडऩे वाले जफर के दो बेटे उमर व अबू बकार के अलावा नानऊ अकराबाद निवासी फल विक्रेता जमील के बेटे समीर (12) को सुबह करीब छह बजे मानवेंद्र नाम के किसान ने नंदपुर पला गांव के जंगलों में पड़ा देखा। तीनों कराह रहे थे और पैरों में बंधी बेडिय़ों को खोलने की कोशिश कर रहे थे। कुछ ही देर में वहां और लोग आ गए। पुलिस को सूचना देकर तीनों बच्चों को थाने ले जाया गया। जहां उनसे पूछताछ के बाद उनके परिजन भी बुला लिए गए।
बच्चों की मानें तो वह एक साल से गांव राइट स्थित फैजुल-ए-कुरान नामक मदरसे में पढ़ते हैं। वहीं रहते भी हैं। आरोप है कि मदरसे के उस्ताद (शिक्षक) द्वारा अक्सर मारपीट की जाती है। विरोध पर हाथ-पैर बांध दिए जाते हैं। मंगलवार को भी अबू बकार के कान में दर्द हो रहा था। बावजूद इसके उस्ताद ने तीनों को मारा और एक ही जंजीर से तीनों के पैर बांध। रात भर तीनों बच्चे सुबकते रहे। सुबह पांच बजे होने वाली नमाज के वक्त उस्ताद जब नमाज पढऩे गए, तभी तीनों वहां से भाग निकले।
जैसे-तैसे बच्चे पास के गांव नंदपुर पला के जंगलों में ग्रामीणों की मदद से पुलिस तक पहुंचे। इस दौरान सीओ गभाना भी लोधा थाने पहुंचे। बाद में परिवार द्वारा कोई तहरीर या शिकायत न दिए जाने पर बच्चों को वापस मदरसा भेज दिया गया। एसओ लोधा अमित यादव ने कहा कि बच्चों को बेडिय़ों से बांधने की बात गलत है। बच्चे मारपीट के चलते मदरसे से भाग आए थे। परिवार द्वारा कोई तहरीर नहीं दी गई। बल्कि बच्चों को वापस मदरसे भेजने की बात कही गई।
मां-बाप को नहीं ऐतराज : इस मामले में जब बच्चों के पिता जफर व जमील से बात हुई तो उनका कहना था कि हमारे बच्चों की कोई कमी रही होगी। उन्हें मदरसे या उस्ताद से कोई शिकायत नहीं है और बच्चों को वापस मदरसे ही भेजेंगे।