भिलाई। राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षाविद डॉ पुष्पा मैसी ने टीचर्स से कहा कि चुनौती चाहे कितनी भी बड़ी हो, काम शुरू करें, उसे अपना शतप्रतिशत दें तो सफलता मिलती ही है। डॉ मैसी केएच मेमोरियल स्कूल जवाहर नगर में विद्यार्थियों के विकास में शिक्षकों की भूमिका पर आयोजित संगोष्ठी को मुख्य वक्ता की आसंदी से संबोधित कर रही थीं। read more
डॉ मैसी ने कहा कि जीवन में उन्हें कई बार ऐसे काम सौंपे गए जिसमें कहां से शुरू करना है, इसका भी उन्हें कोई अंदाजा नहीं था। उन्होंने कार्य का नीचे का सिरा पकड़ा और पूरी मेहनत और लगन के साथ काम करती चली गर्इं और उन्हें सफलता मिली। उदाहरण देते हुए उन्होंने पंडित जसराज के भिलाई आगमन, स्टेडियम के एक बड़े आयोजन तथा सेवानिवृत्ति से ठीक दो साल पहले मिले एक प्राब्लम स्कूल के दायित्व का जिक्र किया।
डॉ मसीह ने बताया कि सेक्टर-6 के इस हाईस्कूल की हालत ऐसी थी कि बच्चे स्कूल छोड़कर भाग जाते थे। टायलेट्स में गंदगी भरी पड़ी थी, दीवारों पर तमाम शरारती चित्र बने थे। बोर्ड का रिजल्ट 48 फीसदी आया तो सीबीएसई ने मान्यता समाप्त करने की चेतावनी दे डाली। ऐसे समय में उन्हें इस स्कूल का दायित्व दिया गया। काम कठिन था किन्तु उन्होंने डिसिप्लिन से शुरुआत की। बच्चों और शिक्षकों का साथ मिला और पहले ही वर्ष में नतीजे 85 फीसदी तक जा पहुंचे।
शिक्षक की भूमिका को मां से भी बड़ा बताते हुए उन्होंने कहा कि बच्चा स्कूल में ज्यादा सीखता है। इससे हमारी जिम्मेदारी और बड़ी हो जाती है। उन्होंने बेहतर शिक्षक बनने के लिए टीचर्स को अनेक टिप्स भी दिए।
संस्था की प्राचार्य श्रीमती विभा झा ने इस अवसर पर कहा कि शिक्षक विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा का स्रोत होता है। इसलिए उसे न केवल अपने विषय पर अपनी पकड़ को मजबूत करते रहना चाहिए बल्कि शाला में अपने पहनावे और आचरण को लेकर भी सतर्क रहना चाहिए। शिक्षक अपनी गरिमा को लेकर सचेत रहें तो बच्चे उनकी प्रत्येक आज्ञा का पालन करेंगे और अनुशासन बना रहेगा।
श्रीमती झा ने बताया कि 25 वर्ष पहले उन्होंने एक छोटी से शुरुआत की थी। आज स्कूल जिस मुकाम पर है वह सबके सम्मिलित प्रयास, समर्पण और कठिन तपस्या का परिणाम है। हमने कभी गुणवत्ता से समझौता नहीं किया और समय की कसौटी पर हम खरा उतरे। उन्होंने बताया कि सीबीएसई गाइडलाइन्स, शासन के शिक्षा विभाग की उम्मीदों पर भी स्कूल हमेशा खरा उतरता आया है।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए वरिष्ठ शिक्षाविद एम एम पाण्डेय ने कहा कि शिक्षक को कभी भी बिना तैयारी के कक्षा में प्रवेश नहीं करना चाहिए। कक्षा से जाते हुए भी उन्हें इस बात का आकलन करना चाहिए कि आज उन्होंने बच्चों को नया क्या सिखाया। इन बातों का ध्यान रखने पर वह अच्छा शिक्षक बन सकता है।
संगोष्ठी में वरिष्ठ शिक्षिका एम पुण्यवती रेड्डी समेत लगभग 30 शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं। अतिथि वक्ताओं ने शिक्षकों की शंकाओं का भी समाधान किया।