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भिलाई में खुलेगी स्पोट्र्स अकादमी

Apr 15, 2015

Dr praveen sharma, rajesh chowhan academyभिलाई। कल्याण स्नातकोत्तर महाविद्यालय ग्राउण्ड में संचालित जीआर चौहान मेमोरियल क्रिकेट अकादमी ने देश का पहला स्पोट्र्स अकादमी/स्पोट्र्स स्कूल प्रारंभ करने का बीड़ा उठाया है। यह एक नया कांसेप्ट है जहां खेल प्रतिभाओं को प्रवेश दिया जाएगा। यह रेसीडेंशल स्कूल होगा। बच्चों की शिक्षा-दीक्षा की जिम्मेदारी भी अकादमी ही उठाएगी।
अकादमी ग्राउण्ड में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर एवं चौहान क्रिकेट अकादमी के प्रमुख राजेश चौहान ने बताया कि आज चारों तरफ खेलकूद का माहौल है। भिलाई जैसे एक छोटे से शहर में 40 से अधिक विक्रम अवार्डी हैं। इस थाती ने हमें यह हौसला दिया कि हम यहां स्पोट्र्स स्कूल स्थापित करें ताकि जो बच्चे ईमानदारी से खेलकूद के क्षेत्र में आगे बढऩा चाहते हैं उन्हें उपयुक्त माहौल मिले।
श्री चौहान ने बताया कि आम तौर पर 9वीं-10वीं के बाद उनके माता पिता उन्हें खेल से हतोत्साहित करते हैं और शिक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के लिए कहते हैं। दिन भर स्कूल और ट्यूशन के बाद थका हारा बच्चा स्पोट्र्स से किनारा करने के लिए विवश हो जाता है। जबकि हम देखते हैं कि भिलाई से सौ किलोमीटर दक्षिण में बस्तर तथा सौ किलोमीटर पूर्व में जशपुर क्षेत्र के आदिवासी बच्चे फुटबाल, हाकी, तीरंदाजी और एथलेटिक्स जैसे खेलों को लेकर तेजी से आगे आ रहे हैं।
श्री चौहान ने कहा कि प्रस्तावित स्पोट्र्स स्कूल या अकादमी पूर्णत: आवासीय होगा। हम इसकी शुरुआत क्रिकेट से करने जा रहे हैं किन्तु एक एक कर हम इसमें सभी खेलों को शामिल करना चाहेंगे। क्रिकेट टैलेंट हंट हमारे इसी प्रयास की शुरुआत है। टैलेंट हंट के जरिए हम उन प्रतिभाशाली युवाओं को चुनने का प्रयास करेंगे जिनमें कुछ कर गुजरने का जज्बा होगा। जिनमें बेसिक स्पोट्र्स इंस्टिंक्ट्स होंगे। इसमें गेंदबाजी, बल्लेबाजी, क्षेत्ररक्षण आदि के आधार पर बच्चों का चयन किया जाएगा।
क्रिकेट बोर्ड की सहमति
श्री चौहान ने बताया कि इस कंसेप्ट को छत्तीसगढ़ क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया का समर्थन मिल चुका है। वे युगचेतना स्कूल के मुखिया भी हैं। उन्होंने कहा कि आवासीय अकादमी चलाने के लिए किसी न किसी संस्थान के सहयोग एवं समर्थन की आवश्यकता होगी। जिस तरह कल्याण महाविद्यालय ग्राउंड में क्रिकेट अकादमी खुल गया है इसी तरह रेसीडेंशियल काम्पलेक्स के साथ स्पोट्र्स अकादमी खोलने में युगचेतना का सपोर्ट लिया जा सकता है।
तेजी से आगे बढ़ी अकादमी
श्री चौहान ने बताया कि कल्याण महाविद्यालय प्रांगण में 1995 में खुली क्रिकेट अकादमी को अच्छा प्रतिसाद मिला। यहां से प्रशिक्षित खिलाडिय़ों में से कईयों को रणजी ट्राफी खेलने का मौका मिला। आज यहां 250 से अधिक बच्चे पंजीकृत हैं। इनमें से 40 नियमित रूप से प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। कुछ स्कूली बच्चे भी समर कैंप में शामिल होते हैं किन्तु स्कूल खुलते ही उनका आना धीरे-धीरे कम होता चला जाता है। इसलिए हम चाहते हैं कि खेल को प्राथमिकता देते हुए हम प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएं ताकि देश को यहां की प्रतिभाओं का लाभ मिल सके।
पूरी हुई पिता की इच्छा
आरंभ में पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए खेल प्रेमी एवं कल्याण महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ प्रमोद शर्मा ने बताया कि कल्याण महाविद्यालय के पूर्व छात्र राजेश चौहान ने कड़ी मेहनत कर न केवल इंडिया टीम में अपने लिये जगह बनाई बल्कि इसके साथ ही उन्होंने अपने पिता की इच्छा भी पूरी कर दी। उन्होंने बताया कि राजेश चौहान के पिता गोविन्द चौहान अपने समय के बेहतरीन फिरकी गेंदबाज थे। उनकी बराबरी तत्कालीन भारतीय फिरकी गेंदबाज बिशन सिंह बेदी के साथ की जाती थी। न्यूजीलैंड दौरे के समय गोविन्द और बिशन सिंह के बीच किसी एक का चयन होना था। घरेलू मैचों में परफारमेंस के आधार पर यह चयन किया गया। गोविन्द चौहान 5 विकेट लेने में सफल रहे जबकि बिशन सिंह बेदी ने 6 विकेट लेकर इंडिया टीम में अपनी जगह पक्की कर ली। गोविन्द चौहान का 1989 में देहांत हो गया। शायद उसी समय राजेश ने यह पक्का कर लिया था कि वे अपने पिता का सपना पूरा करेंगे। कल्याण कालेज में और भी बच्चे क्रिकेट खेलते किन्तु जितनी मेहनत राजेश करता था, वह प्रेरणास्पद था। राजेश को इसका फल भी मिला और उन्हें देश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला।
नागरिकों में हो खेल भावना
पत्रवार्ता को संबोधित करते हुए इस नए कंसेप्ट के सूत्रधार डॉ प्रवीण शर्मा ने बताया कि सुबह से शाम तक किताबों में डूबे रहने वाले लोगों में सबसे ज्यादा खलती है खेल भावना की कमी। वे अपनी तरफ से पूरी तैयारी कर प्रतिस्पर्धा में तो उतरते हैं किन्तु खेल भावना के अभाव में वे पहली पराजय के बाद ही घबरा जाते हैं। खेलकूद हमें यह सिखाता है कि प्रत्येक पराजय को हम एक नई चुनौती के रूप में स्वीकार करें। अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए व्यक्ति चाहे जितनी भी बार असफल हो वह प्रयास करना न छोड़े। बच्चों में इसी खेल भावना को विकसित करने के लिए हमने रेसीडेंशियल स्पोट्र्स स्कूल की अवधारणा पेश की है। यदि इसे लोगों का अच्छा प्रतिसाद मिला तो हम इसे लेकर आगे बढ़ेंगे तथा धीरे-धीरे अन्य खेलों को भी इसमें शामिल करते चले जाएंगे। स्पोट्र्स अकादमी में बच्चे पढऩे के साथ साथ शिक्षा भी हासिल करेंगे तथा बेहतर नागरिक बनकर सामने आएंगे।

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