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मांग से 16000 गुना अधिक ऊर्जा देता है सूर्य

Dec 3, 2015

science college durgसाइंस कालेज दुर्ग में भौतिक शास्त्र विभाग द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय
दुर्ग। आने वाले समय में ऊर्जा की मांग को कैसा पूरा किया जाए एवं कम खर्च में ऊर्जा का उत्पादन कैसे हो। यह चुनौती आज के वैज्ञानिकों के सामने है तथा इसका समाधान नये वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों की पहचान तथा उनके गुणवत्ता निर्धारण की नयी तकनीकों में निहित है। Read More
ये उद्गार पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर शिवकुमार पाण्डेय ने व्यक्त किये। डॉ. पाण्डेय यहां शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में भौतिकी शास्त्र विभाग द्वारा ऊर्जा संरक्षण पदार्थों एवं संधृत विकास तकनीकों पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। सीजीकॉस्ट रायपुर तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग नई दिल्ली द्वारा संयुक्त रूप से प्रायोजित इस कार्यशाला में 7 राज्यों के लगभग एक सैकड़ा प्राध्यापक एवं शोधकर्ता हिस्सा ले रहे है।
मुख्य अतिथि डॉ. पाण्डेय ने बड़ी संख्या में उपस्थित प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों से कहा कि सूर्य हमें इस बात के लिए प्रेरित करता है, कि कैसे नाभिकीय संगलन द्वारा ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है।
उन्होंने ऐसे ऊर्जा स्त्रोतों के बारे में शोध पर बल दिया जो पर्यावरण संतुलन के लिए खतरा न हो। उन्होंने ऊर्जा संरक्षण की संभावना पर विचार-विमर्श की आवश्यकता जताई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दुर्ग विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एन.पी. दीक्षित ने विश्व के ऊर्जा स्त्रोतों का आंकड़ावार विवरण देते हुए बताया कि वर्तमान में पवन ऊर्जा तथा सौर ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में विश्व में भारत का स्थान क्रमश: पांचवा एवं छठवां है। उन्होंने ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में भूगर्भीय ताप आधारित ऊर्जा के उत्पादन की संभावनाओं की जानकारी भी दी।
इससे पूर्व सेमीनार की आयोजन सचिव डॉ. अंजली अवधिया ने सेमीनार के विषय एवं वर्तमान समय में प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। डॉ. अवधिया ने इनर्जी हारवेस्टिंग मटेरियल के प्रयोग तथा संधृत विकास अपनाई जाने वाली तकनीकों का भी विश्लेषण किया।
महाविद्यालय की प्रभारी प्राचार्य डॉ. शीला अग्रवाल ने अपने स्वागत भाषण में भौतिक शास्त्र विभाग द्वारा दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों के अत्याधिक दोहन के कारण आज विश्व के सामने ऊर्जा संकट खड़ा हो गया है। अत: वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों पर चिंतन मनन किया जाये, जिससे अगामी वर्षों में ऊर्जा की बचत एवं ऊर्जा का उचित दोहन किया जा सके।
सेमीनार में आमंत्रित अतिथियों को स्मृति चिन्ह के रूप में सोलर मोबाइल चार्जर एवं एलईडी लाइट भेंट किये गये।
की-नोट एड्रेस देते हुए एन.आई.आई.टी राजस्थान के कुलपति प्रोफेसर आर.के. पाण्डेय ने प्रकृति में सौर ऊर्जा की उपलब्धता, उसके उपयोग एवं प्रौद्योगिकी में उसका रूपांतरण इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को प्रकाश की फसल के उत्पादन के रूप में निरूपित किया। उन्होंने बताया कि विश्व कि ऊर्जा की मांग के अनुपात में लगभग 16 हजार गुना अधिक ऊर्जा प्रतिवर्ष पृथ्वी को सौर ऊर्जा के रूप में प्राप्त होती है।
तकनीकी सत्र में आमंत्रित व्याख्यान देते हुए आईआईटी खडग़पुर के डॉ. अमरीश चंद्रा ने इनर्जी एकत्रित करने वाले मटेरियल्स तथा नैनो संरचनाओं की जानकारी दी। भारतीय विज्ञान संस्थान बंगलौर के डॉ. संजीव श्रीवास्तव ने अपने व्याख्यान में श्सेंटर फॉर नेनो साइंस एवं इंजीनियरिंग में उपलब्ध सुविधाओं पर सारगर्भित जानकारी दी।
सेमीनार में शालेय छात्र-छात्राओं में वैकल्पिक उर्जा के प्रति जागरूकता फैलाने हेतु समीर खुले को सम्मानित किया गया। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका पर केंद्रित विशेष तकनीकी सत्र में भोपाल एम.ए. एन.आई.टी. की प्राध्यापक एवं फुलब्राईट स्कॉलर तथा कामनवेल्थ अकादमिक फेलोशिप प्राप्त प्रोफेसर तृप्ता ठाकुर ने ग्लोबर पावर की वर्तमान स्थिति व संधृत विकास अवधारणा का विष्लेषण किया। भिलाई इस्पात संयंत्र की बोन्या मुखर्जी ने एकीकृत इस्पात संयंत्रों में इनर्जी ऑडिट पर पावर पाइंट प्रस्तुतिकरण किया। महिलाओं की भूमिका पर आधारित तकनीकी सत्र में चिकित्सा से संबंधित प्रस्तुति डॉ. सोनाली श्रीवास्तव ने दी।

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