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स्वामी स्वरुपानंद महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेमीनार

Dec 10, 2015

hansa shuklaभिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको में आई.क्यू.ए.सी. सेल एवं नैक, बैंगलूरु के संयुक्त तात्वावधान में क्वालिटी एनहैंसमेंट इन हायर एजुकेशन थ्रू करिकुलम डेवलपमेंट पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन समारोह डॉ. बी.एस. पोनमुदीराज नैेक डिप्टी एडवाईजर बैंगलूरु के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। विशिष्ट अतिथि के रुप में डॉ. रमेश सोनी संपादक रिसर्च लिंक उपस्थित हुये। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. श्रीमती हंसा शुक्ला ने की। कार्यक्रम संयोजिका स.प्रा. श्वेता दवे ने कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डालते हुये कार्यक्रम का सारांष प्रस्तुत किया। Read More
डॉ. बी.एस. पोनमुदीराज ने कहा हमारे देश के 786 विश्वविद्यालय एवं 40,000 कॉलेज हैं। लेकिन नैक ने अभी तक 800 कॉलेज एवं 276 वि.वि. का मूल्यांकन किया हैं। नैक चक्रीय प्रक्रिया है जो हर 5 साल में होता है। छत्तीसगढ़ में 910 में से 72 कॉलेज का मूल्यांकन अभी तक किया जा चुका हैं पं. रविशंकर शुक्ल वि.वि. के 244 कॉलेजों में से मात्र 23 कॉलेज का अभी तक मूल्यांकन तक किया गया है।
सभी कॉलेज को इस तरह के सेमीनार का आयोजन करना चाहिए। रुसा के द्वारा इस तरह के सेमीनार के लिए 3 लाख तक का फण्ड दिया जाता हैं। मेरा सभी कॉलेज के प्राचार्यों से अनुरोध है इस तरह के सेमीनार का आयोजन करें। जिससे सभी का फायदा हो सके।
डॉ. रमेश सोनी ने कहा हम बंद कमरे में शिक्षा व पाठ्यक्रम पर बहस करते है पर शिक्षा व्याकुलता से यह प्रश्न करती है, मेरे अच्छे दिन कब आयेंगे।
शिक्षा में गुणवत्ता में सुधार पाठ्यक्रम पर बहस करने से नहीं अपितु कार्यरुप में परिणत करने से आयेगी।
डॉ. मीन्टू सिन्हा ने कहा शिक्षा वही सार्थक होती है जो देश को सामयिक दृष्टि से अधिक से अधिक समर्थ बना सके। आज पाठ्यक्रम समग्र विकास नहीं अपितु सूचना मात्र हैं। ऐसी स्थिति में पाठ्यक्रम का विकास मूल्य परक होना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये प्राचार्या डॉ. (श्रीमती) हंसा शुक्ला ने पाठ्यक्रम में नयी तकनीकि के उपयोग पर बल देते हुये कहा पाठ्यक्रम में इस प्रकार परिवर्तन लाये की विद्यार्थियों को पाठ्यक्रम से सिर्फ डिग्री न मिले बल्कि व्यक्तित्व विकास में सहायक हो। सोशल मिडिया के प्रयोग से हम ज्ञान वृद्वि के लिये करे। हम पाठ्यक्रम में बदलाव चाहते हैं पर इसकी पहल हमें स्वयं करनी पड़ेगी पाठ्यक्रम ऐसे हो जिसमें विद्यार्थी अधिक से अधिक जानने के लिये उत्सुक हो।
तृतीय सत्र के मुख्य वक्ता डॉ. बी.आर. कौशल, कुमायुं विश्वविद्यालय थे। सत्र की अध्यक्षता डॉ. एस. के. जादव प्रो. एवं विभागाध्यक्ष बायोटेक्नोलॉजी विभाग रविशंकर शुक्ल वि.वि. रायपुर ने की।
चतुर्थ सत्र के मुख्य वक्ता डॉ. मीन्टू सिन्हा नैक सदस्य मुंबई से एवं सत्र की अध्यक्षता डॉ. बशीर हसन सर प्रो. एवं विभागध्यक्ष मनौविज्ञान रविशंकर
शुक्ल वि.वि. रायपुर ने की।
सर्व श्रेष्ठ शोध वाचन पर रिसर्च लिंक की ओर से कमलेश कुमार, मोहन सुशांत, शर्मिला सा, अनुसुईया अग्रवाल को पुरस्कृत किया गया।
डॉ. शंकर मुनिराय दिग्विजय कॉलेज ने पाठ्यक्रम की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। डॉ. सुचित्रा शर्मा विश्वनाथ यादव तामस्कर वि.वि. ने कहा मूल्य शिक्षा की आवश्यकता सिर्फ युवाओं व बच्चों को नहीं हैं बल्कि सारा संसार मूल्यहीनता से गुजर रहा है। स.प्रा. श्वेता निर्मलकर ने पाठ्यक्रम का निर्माण एवं अधिगम प्रक्रिया पर प्रकाष डाला संजीव कुमार यादव, डी.एस. कुसुम चन्द्राकर, दीपिका दर्शना, ने उच्चशिक्षा में बदलाव पर अपने विचार व्यक्त किया। माधुरी रानी, दीपिका दर्शना, डाली यादव, डॉ. एन.एन.शर्मा ने पाठ्यक्रम निर्माण से संबंधित अपने शोधपत्र पढ़े। डॉ. सुचित्रा शर्मा एवं नुपुर दास ने दो दिवसीय शोध संगोष्ठी पर अपना फीड बैक देते हुये विषय को समसमायिक एवं महत्वपूर्ण बताया। संगोष्ठी की सह-संयोजिका प्रो. सावित्री शर्मा ने बताया कि सेमीनार में 145 से अधिक प्रतिभागी सम्मलित हुए, जो छ.ग. के विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं के प्राध्यापक विषय-विशेषज्ञ एवं शोधार्थी थे। आई.क्यू.ए.सी. सदस्य योगेश देशमुख स.प्रा. बायोटेक्नोलॉजी ने कार्यक्रम को सफल बनाने में विशेष योगदान दिया। कार्यक्रम में मंच संचालन प्रो. सावित्री शर्मा शिक्षा विभाग व धन्यवाद ज्ञापन सहायक प्राध्यापक श्वेता दवे ने किया।
कार्यक्रम में डॉ. महेन्द्रचन्द्र शर्मा, प्राचार्य, इन्द्रिरा कला संगीत महाविद्यालय, खैरागढ़, डॉ. बशीर हसन, डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव, डॉ. भावनानी एवं महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक/प्राध्यापिकायें उपस्थित हुये।

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