भिलाई। सिगरेट या किसी भी रूप में धूम्रपान करने वाले अपना तो बिगाड़ते ही हैं, वे प्रति वर्ष ऐसे छह लाख लोगों की हत्या के लिए भी जिम्मेदार हैं जो स्वयं सिगरेट नहीं पीते पर उनके आसपास रहते हैं। यह आंकड़ा किसी महामारी से कम नहीं है। उक्त उद्गार विज्ञान रत्न प्रो. डीएन शर्मा ने वल्र्ड नो टोबैको डे की पूर्व संध्या में आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। कैम्पस ईवेन्ट्स ग्रुप के इस आयोजन में बड़ी संख्या में मितानिनें एवं बच्चे शामिल थे। प्रो. शर्मा ने कहा कि सिगरेट/बीड़ी पीने वालों को सचेत करने के लिए बच्चे एक टोली बनाएं तथा प्लेकार्ड लेकर उनके घर जाएं। यदि हम एक या दो लोगों को भी समझाने में सफल हो गए तो मानवता पर उपकार होगा। Read More
कल्याण कालेज के बायो केमिस्ट्री विभाग के अध्यक्ष प्रो. शर्मा ने तम्बाकू के किसी भी रूप में सेवन का वैज्ञानिक विश्लेषण करते हुए बताया कि किस तरह से यह हमें धीरे धीरे कमजोर, चिड़चिड़ा और निकम्मा बना देता है।
कार्यक्रम के विशेष वक्ता न्यूरो सर्जन डॉ प्रवीण शर्मा ने शरीर एवं मन के स्वास्थ्य को मजबूत करने के टिप्स देते हुए कुछ प्रयोग भी करवाए। उन्होंने कहा कि तम्बाकू या किसी भी प्रकार के नशे की ओर वही आदमी जाता है जिसे स्वयं पर विश्वास नहीं होता। इसलिए हमें प्रतिदिन स्वयं को एक घंटा देना चाहिए। इसमें आधा घंटा शारीरिक और आधा घंटा मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने पर खर्च होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सूर्य नमस्कार, तालियां और ठहाके आपके शरीर में रक्तसंचार को बेहतर बनाए रखते हैं, चेहरे पर चमक आती है और ऊर्जा दिनों दिन बढ़ती चली जाती है। आपकी स्मरण और सोचने की शक्ति भी बढ़ती चली जाती है। उन्होंने कहा कि नशा खोरी को हतोत्साहित करने के लिए ऐसे लोगों को लगातार इस बात का अहसास कराते रहना चाहिए कि नशा खोरी के कारण वे अब उतने प्रिय नहीं रहे।
कार्यक्रम के सूत्रधार दीपक रंजन दास ने इस अवसर पर उन बच्चों का परिचय दिया जिन्होंने नशाखोरी के खिलाफ पोस्टर प्रतियोगिता में भाग लेने वाली नेहा, रजनी, भावना, प्रीति, सोनी और शीतल तथा सीबीएसई 10वीं बोर्ड की परीक्षा अच्छे नम्बरों से उत्तीर्ण करने वाली रजनी, काजल, आंचल, सुनीता और सोनी का सम्मान किया गया। इसके साथ ही बास्केटबाल की राष्ट्रीय खिलाड़ी एन अश्विनी का सम्मान किया गया।
आयोजन प्रमुख समाजसेवी बी पोलम्मा ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि गरीबों की बस्ती में भी अधिकांश परिवारों की प्रतिदिन मजदूरी से कमाई 300 से 400 रुपए होती है। पर नशाखोरी की प्रवृत्ति के चलते इसमें से 100-50 ही घर तक पहुंच पाता है और परिवार गरीबी में दिन गुजारता है।