दुर्ग। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम शिक्षा गुणवत्ता अभियान के अंतर्गत आज दुर्ग जिले के बीआईटी कॉलेज के सभागृह में मूल्यांकनकर्ता, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों का प्रशिक्षण आयोजित किया गया। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष इस अभियान के परिणामों के विश्लेषण तथा अपेक्षित गुणवत्ता सुधार को देखते हुए द्वितीय वर्ष की कार्ययोजना बनाई गई है। इसके तहत इस वर्ष दुर्ग जिले के 150 प्राथमिक और 59 उच्च प्राथमिक कुल 209 शालाओं का चिन्हांकन किया गया है। अभियान के अंतर्गत 16 अगस्त से 31 अगस्त के मध्य जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों द्वारा शालाओं का निरीक्षण किया जाएगा। इस वर्ष शालाओं का मूल्यांकन कक्षाओं को फोकस में रखकर किया जा रहा है। अगस्त माह के बाद आगामी जनवरी माह में फिर से इन स्कूलों का मूल्यांकन किया जाएगा।
प्रशिक्षण कार्यक्रम को कमिश्नर दुर्ग एवं रायपुर संभाग श्री ब्रजेश चंद्र मिश्र ने संबोधित किया। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती माया बेलचंदन, पूर्व विधायकगण सर्वश्री विजय बघेल एवं डोमन लाल कोर्सेवाड़ा सहित विभिन्न नगरीय एवं जनपद निकायों के जनप्रतिनिधिगण एवं अधिकारीगण उपस्थित थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कमिश्नर श्री मिश्र ने कहा कि शिक्षा किसी भी विद्यार्थी के लिए भविष्य के पासपोर्ट की तरह होती है। यह बच्चों के जिंदगी की नींव है। भारत शासन और राज्य शासन दोनों शिक्षा के विकास के लिए कटिबद्ध है। आने वाला समाज कैसा होगा यह हमारे शिक्षा पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि अधिकारी स्कूलों के गुणवत्ता के सुधार कार्यों को केवल एक सरकारी कार्य की तरह नहीं देखें क्योंकि शिक्षा से ही समाज में बदलाव आता है और देश-प्रदेश का भविष्य सुधरता है। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार की दृष्टि से यह कार्य हमारे सामाजिक दायित्वों के निर्वहन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
कलेक्टर श्रीमती आर. शंगीता ने ऑडियो-विडियो प्रदर्शन के माध्यम से पूरे अभियान की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष सामाजिक अंकेक्षण के रूप में 100 बिन्दुओं पर जानकारी प्राप्त की गई थी। इस वर्ष शाला की कक्षाओं पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया गया है तथा स्कूल के प्रत्येक कक्षा का आंकलन 10 बिन्दुओं के आधार पर किया जाएगा। इससे बच्चों की समस्याओं व शैक्षणिक आवश्यकताओं को समीप से देखने का अवसर मिलेगा साथ ही इसके आधार पर शैक्षणिक नीतियां एवं योजनाएं तैयार करने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष बच्चों के सामान्य ज्ञान, अंग्रेजी और गणित के मूल्यांकन को समझने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे। मूल्यांकन के दौरान किसी भी कक्षा को सफल तभी माना जाएगा जब कक्षा के तीन-चैथाई विद्यार्थी अर्थात् 75 प्रतिशत विद्यार्थी पूछे गए 10 प्रश्नों में से कम से कम 7 प्रश्न अर्थात 70 प्रतिशत का सही जवाब दे पाते हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में सीजी एजुटेऊक नामक मोबाईल एप्प डाउनलोड कर तथा यू-डाइस वेबसाइट के माध्यम से भी विस्तार से जानकारी प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने मूल्यांकनकर्ता अधिकारियों से कहा कि वे मूल्यांकन हेतु शाला जाने से पहले अपने पास कक्षावार प्रश्नों की सूची बनाकर तैयार रखें तथा बिना बताये स्कूल पहुंचकर मूल्यांकन करें। मूल्यांकन के पहले वे स्कूलों का भ्रमण करें तथा शाला विकास की कमियों को देखते हुए सुधार के उपाय भी सुझाये। वे कोशिश करें कि दोनों मूल्यांकन के बीच की अवधि में हर माह कम से कम एक बार निर्धारित स्कूलों का अवलोकन करें तथा वहां आने वाले सुधार कार्यों की समीक्षा करें। इस अवसर पर जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को मूल्यांकन हेतु मार्गदर्शिका और प्रपत्र प्रदाय किए गये।