घरेलू मांग को पूरा करने में सक्षम, 20 प्रतिशत बिक्री वृद्धि का लक्ष्य, ऑटोमोटिव उद्योग भी होगा टारगेट
भिलाई। सेल अध्यक्ष पीके सिंह ने 44वीं वार्षिक आम सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सेल 2016-17 में अपने उत्पादन और बिक्री को पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। नई इकाइयों से उत्पादन बढ़ाने का मतलब केवल उत्पादन की मात्रा में वृद्धि और बेहतर गुणवत्ता के उत्पादों में सबसे आगे रहना ही नहीं है बल्कि इससे उत्पादन के लागत को भी कम करने में मदद मिलेगी। नई इकाइयों से और भी अधिक उत्पादन और अधिक लागत वाली प्रणाली से उत्पादन को अनुकूल बनाने से वित्त वर्ष 2015-16 की पहली तिमाही की तुलना में चौथी तिमाही में उत्पादन लागत में 10 प्रतिशत कमी आई। यह रुझान अभी जारी है।
श्री सिंह ने कहा कि सेल की जारी आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण योजनाएं बहुत ही जल्द पूरी होने जा रही हैं। इसके अलावा सेल ने अपने उत्पाद-मिश्र और बेहतर बनाने तथा लाभप्रदता को बढ़ाने के लिए नई परियोजनाएं भी शुरू की हैं। राउरकेला इस्पात संयंत्र में लगाई जा रही 30 लाख टन प्रतिवर्ष की क्षमता की 2250 एमएम चौड़ी एक नई हॉट स्ट्रिप मिल 2018 में चालू होगी। इससे सेल देश में बढ़ते हुए ऑटोमोटिव उद्योग की जरूरतों को पूरा करने के लिए अत्याधुनिक अति-मजबूत ग्रेड्स समेत अत्यधिक उच्च गुणवत्ता के हॉट रोल्ड काइल का उत्पादन करने में सक्षम होगा।
इस्पात उद्योग के सामने मौजूदा चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को देखते हुए, सेल प्रबंधन लागत में कमी के अलावा, कंपनी की बिक्री और निष्पादन को और बेहतर करने के लिए ग्राहक केन्द्रित प्रणालियों में सुधार हेतु लगातार आवश्यक पहल कर रहा है। कंपनी द्वारा मार्केटिंग की दिशा में किए प्रयासों के बारे में उन्होंने कहा, मौजूदा समय में मार्केटिंग के उन क्षेत्रों पर अधिक जोर दिया जा रहा है, जहां भाड़े में स्वाभाविक लाभ मिल रहा है, खुदरा बिक्री बढ़ रही है और एक ब्रांड के रूप में सेल की पहचान मजबूत हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि प्रबंधन प्रत्येक कार्मिक को इन नई पहलों और रणनीतियों के बारे न केवल अवगत कराने का प्रयास कर रही है बल्कि उन्हें इनके प्रति संवदेनशील बनाने पर भी जोर दे रही है। साथ ही ग्राहक केन्द्रित संस्कृति को कार्मिकों के व्यवहार का हिस्सा बनाने में लगी हुई है।
विश्व इस्पात उद्योग की समीक्षा करते हुए श्री सिंह ने कहा, पूरी दुनिया में वर्ष 2015-16 के दौरान भारत ही एकमात्र ऐसा प्रमुख इस्पात उपभोक्ता देश रहा, जिसमें विकास देखने को मिला है। इस साल भी भारत, अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए विश्व का तीसरा सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश रहा। विश्व इस्पात संघ के अनुमान के अनुसार भारत में इस्पात की मांग में 2016 और 2017 दोनों वर्षों के दौरान 5 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोत्तरी होगी। श्री सिंह ने आगे कहा कि अनुमानित मांग-आपूर्ति स्थिति को देखते हुए, आने वाले समय में वैश्विक ओवर सप्लाई बनी रहेगी और भारतीय इस्पात उद्योग को मानक प्रतिस्पर्धा में बने रहने के लिए व्यापार नियामक उपायों की जरूरत होगी। भारत सरकार द्वारा सही समय पर व्यापार नियामक उपायों की दिशा में कदम उठाने के लिए धन्यवाद देते हुए श्री सिंह ने कहा, भारत सरकार ने ऐसे महत्वपूर्ण समय पर यह कदम उठाया, जब इसकी बहुत ही अधिक जरूरत थी। सरकार ने न केवल फरवरी, 2016 में मिनिमम इम्पोर्ट प्राइस (एमआईपी) प्रणाली के रूप में आवश्यक सुधारात्मक व्यापार उपाय को लागू किया बल्कि इसके बाद हॉट एवं कोल्ड रोल्ड फ्लैट उत्पाद के लिए अस्थाई एंटी डंपिंग ड्यूटी भी लगाई, जिससे घरेलू इस्पात उद्योग पर से भारी दबाव को कम करने में मदद मिली अन्यथा घरेलू इस्पात उद्योग अत्यधिक दबाव में रहता।
घरेलू इस्पात की मांग के बारे में बात करते हुए श्री सिंह ने कहा, भारत सरकार ने इस्पात की मांग बढ़ाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। देश की अग्रणी इस्पात उत्पादक कंपनी होने के नाते सरकार की पहल के अनुरूप इस्पात की खपत बढ़ाना हमारा दायित्व है। विनिर्माण और आधारभूत संरचना परियोजनाओं में अन्य उत्पादों की तुलना में स्टील उत्पादों के उपयोग के लाभों के बारे में लोगों को जागरूक करके इस्पात के उपयोग को बढ़ाने की पहल की जा सकती है। उपभोक्ताओं को टिकाऊ उत्पाद होने की वजह से लागत पर पडऩे वाले असर, विश्वसनीय गुणवत्ता, सुरक्षा और निर्माण के दौरान होने वाले समय की बचत के लाभों के बारे में बताने से मदद मिल सकती है।
एक सकारात्मक भविष्य की आशा के साथ, उन्होंने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र के वृद्धि दर में बढ़ोत्तरी, बुनियादी विकास, नगरीकरण की उच्च दर और मध्य वर्ग की बढ़ती आबादी पर अत्यधिक जोर दिये जाने से देश में घरेलू इस्पात उद्योग में तेजी आएगी और सेल अपने आधुनिकृत संयंत्रों में अत्याधुनिक तकनीक से लैस होकर एक बड़ी छलांग लगाने को तैयार है।