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साहित्य सिखाता है जीने की विधि : दिनेश कुशवाह

Sep 15, 2016

शास. विश्वनाथ यादव तामस्कर स्वशासी महाविद्यालय में हिन्दी परिषद उद्घाटित
science-collegeदुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्याल में स्नातकोत्तर हिन्दी साहित्य परिषद का उद्घाटन प्रख्यात कवि तथा अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा (म. प्र.) के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. दिनेश कुशवाह ने किया। समारोह की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुरेन्द्र कुमार राजपूत ने की। इस अवसर पर शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कांकेर के प्राचार्य डॉ. कोमल सिंह सार्वा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थिति थे। डॉ. कुशवाह ने अपनी चुनिंदा कविताओं का पाठ भी किया।
समारोह को संबोधित करते हुये डॉ. कुशवाह ने कहा कि साहित्य हमे जीने का विधि सिखाता है। बिना प्रयत्न किये कोई भी कार्य सिद्ध नहीं होता। साहित्य कर्म भी श्रम और प्रयत्न की मांग करता है। हर रचनाकार अपनी क्षमता और सीमा के भीतर भी विशिष्ट होता है। वह किसी की नकल नहीं करता। जो भी नया वह रचता है उस पर किसी का प्रभाव हो सकता है। लेकिन उसकी मौलिकता भी उसके सृजन में परिलक्षित होती है। जैसे एक ही मुहूर्त में प्रसव पीड़ा से गुजर कर स्त्रियां अलग-अलग गुणों वाले शिशुओं को जन्म देती हैं, उसी तरह समान देशकाल और परिस्थिति में सृजन करने वाले साहित्यकार अलग-अलग तरह की विशिष्ट कृतियों की रचना करते हैं ।
डॉ. कुशवाह ने अपनी कविताओं का पाठ भी किया। उन्होंने बहुत दिनों से, पिता के चिता जलाते हुये, इसी काया में मोक्ष आदि चर्चित कविताओं को अत्यंत प्रभावशाली एवं मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया। विशिष्टि अतिथि डॉ. कोमल सिंह सार्वा ने हिन्दी विभाग की प्रगति तथा विद्यार्थियों की सक्रियता और शैक्षणिक उपलब्धि पर प्रसंन्नता प्रकट की तथा कहा कि छात्रों के व्यक्तित्व विकास की दृष्टि से यह अत्यंत सार्थक कार्य हैं।
अध्यक्षीय संबोधन में प्राचार्य डॉ. सुरेन्द्र कुमार राजपूत ने हिन्दी विभाग की गतिविधियों की संराहना की। उन्होंने कहा कि विभाग के विद्यार्थियों को औद्योगिक इकाईयों में जाकर मजदूरों और कर्मचारियों के बीच भाषण शिक्षण का कार्य करना चाहिए। इससे विभाग की सृजनात्मक गतिविधियों का विस्तार महाविद्यालय के परिसर से बाहर निकल कर व्यापक समाज तक संभव होगा। एम. ए. तृतीय सेमेस्टर के छात्र भूपेन्द्र कुमार ने बदलते परिवेश में मीडिया की भूमिका विषय पर पत्रवाचन किया।
विभागाध्यक्ष डॉ. शीला अग्रवाल ने स्वागत भाषण दिया तथा स्नातकोत्तर हिन्दी साहित्य परिषद के गठन की घोषणा की। परिषद में अध्यक्ष कु. आरती प्रसाद (एम. ए. तृतीय सेमस्टर) उपाध्यक्ष गोकुलराम (एमए प्रथम सेमस्टर), सचिव कु. दिव्या यादव (एमए तृतीय सेमस्टर) तथा सहसचिव रामकुमार (एमए प्रथम सेमस्टर) मनोनित किये गये। कार्यक्रम के प्रारंभ में स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग की छात्राओं कु. स्नेहा, कु. दिव्या यादव एवं आरती ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। समारोह का संचालन डॉ. कृष्णा चटर्जी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन परिषद के प्रभारी प्राध्यापक डॉ. शंकर निषाद ने किया।

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